जो जहां हैं, वहीं रुकें, सबको वापस लाएंगे : हेमंत

राची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर दोहराया है कि प्रवासी मजदूरों को वापस लाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वे धैर्य बनाए रखें। जहा हैं, वहीं रुके। दरअसल, महाराष्ट्र में छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों के साथ हुए हादसे ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चिंता बढ़ा दी है। शुक्रवार को इसी के मद्देनजर उन्होंने अधिकारियों संग बैठक की। पंजाब, आध्र प्रदेश, तमिलनाडु सहित कई राज्य सरकारों से संपर्क किया। वहा से आ रही ट्रेनों के संबंध में जानकारी ली।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार योजनाबद्ध तरीके से तमाम राज्यों में फंसे लोगों को ला रही है।
इस संदर्भ में सभी राज्यों से सहयोग मिल रहा है। मजदूरों के संदेश भी लगातार प्राप्त हुए हैं। वापस आने के लिए राज्य सरकार के वेब पोर्टल पर 5.50 लाख प्रवासी मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। ऐसे लोग विभिन्न राज्यों से वापस आना चाहते हैं। सभी आकड़े नोडल पदाधिकारियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं, जो विभिन्न राज्यों के नोडल पदाधिकारियों के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सबको सुरक्षित लाना राज्य सरकार की जवाबदेही है। सबकुछ भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक होगा और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग जहा हैं, वहीं रुके रहें। हम सबको सुरक्षित वापस लाएंगे। सरकार अपने काम में लगी है। अभी के माहौल में सहनशीलता बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासियों के आने से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है। इसका पहले से ही अनुमान था। यह भी कहा कि सरकार राज्य में फंसे अन्य प्रदेशों के लोगों को भी उनके घर तक वापस भेजने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कहा कि यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। समय के अनुरूप सरकार इस मामले में फैसला लेगी।

वेल्लोर में फंसे मरीजों-परिजनों को लेकर आई ट्रेन, सबने ली राहत की सांस

जेएनएन, राची : शुक्रवार को तीन स्पेशल ट्रेनों से झारखंड के 3610 लोग गुजरात व तमिलनाडु से वापस लौटे। पहली बार वेल्लोर में लॉकडाउन के कारण फंसे मरीजों व उनके परिजनों को भी ट्रेन से वापस लाया गया। इसी तरह गुजरात के सूरत शहर से झारखंड के फंसे झारखंड के 1208 मजदूरों को लेकर एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन दोपहर डेढ़ बजे जसीडीह स्टेशन पर पहुंची। वहीं गुजरात के ही मोरबी से एक अन्य ट्रेन झारखंड के 1187 मजदूरों को लेकर अपराह्न 4.10 बजे टाटानगर स्टेशन पहुंची। इनमें 85 फीसद मजदूर पश्चिमी सिंहभूम, दस फीसद पूर्वी सिंहभूम और पांच फीसद सरायकेला खरसावां जिले के थे। वेल्लोर के काटपाडी और गुजरात के मोरबी से आनेवाले लोगों से कोई किराया नहीं वसूला गया था। न किराया बचा था न रहने-खाने के पैसे

रांची के हटिया स्टेशन पर पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों ने कहा कि यहां पहुंचने पर उनकी जान में जान आई। इससे पहले वहां उन्हें लॉज में किराया देकर रहना पड़ रहा था, जबकि सारे पैसे पहले ही खत्म हो गए थे। पैसे नहीं दे पाने की स्थिति में लॉज मालिक उन्हें परेशान भी कर रहे थे। वह एक सप्ताह के लिए गए थे, लेकिन उन्हें डेढ़-दो महीने रुकना पड़ा। उनके पास लौटने के लिए टिकट के पैसे भी नहीं बचे थे। पहली बार यहां कई मरीजों और परिजनों की कोरोना जांच भी कराई गई। जांच के बाद सभी यात्रियों को बस से उनके घर भेज दिया गया। कुछ मरीजों को निजी वैन से जाने की अनुमति देते हुए उन्हें पास भी उपलब्ध कराया गया।

वेल्लोर से झारखंड के 19 जिलों के 1215 यात्रियों को लेकर चली स्पेशल ट्रेन शुक्रवार सुबह हटिया स्टेशन पहुंची थी। इसमें रांची और धनबाद के 580 मरीज सवार थे। शेष उनके परिजन व अन्य लोग थे। इस ट्रेन को सुबह पांच बजे हटिया पहुंचना था, लेकिन विशाखापट्टनम में गुरुवार को हुए गैस रिसाव के कारण रूट को डायवर्ट किया गया था। इसलिए ट्रेन छह घंटे विलंब से 11 बजे हटिया स्टेशन पहुंची। हटिया स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचते ही यात्रियों के चेहरे खिल उठे। स्टेशन पर व्हील चेयर से लेकर मेडिकल वैन तक

मरीजों का ख्याल रखते हुए स्टेशन पर कई सुविधाएं दी गई थीं। मेडिकल वैन की व्यवस्था भी की गई थी। एंबुलेंस भी तैनात थे। गंभीर मरीजों को जाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए व्हील चेयर भी उपलब्ध कराए गए थे। जांच के बाद सभी को होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया।

सूरत में एनजीओ ने मजदूरों से वसूल लिया दोगुना किराया

गुजरात के सूरत से झारखंड पहुंचे मजदूरों के लिए रेलवे ने 740 रुपये की टिकट दर निर्धारित की थी, लेकिन सूरत में एक एनजीओ ने श्रमिकों से दोगुनी रकम वसूल ली। जसीडीह पहुंचे मजदूरों के अनुसार उन्हें यहां भेजने के काम में सूरत का एक एनजीओ झारखंड समाज जुटा था। इन लोगों को टिकट इसी संगठन ने उपलब्ध कराया। टिकट का मूल्य 740 रुपये था, लेकिन उनसे एक हजार से 1500 रुपये तक की वसूली की गई। 28 मजदूरों से मोरबी में ठेकेदार ने कर ली वसूली गुजरात के मोरबी से झारखंड आई ट्रेन में मजदूरों से किराया नहीं लिया गया। हालांकि मजदूरों ने बताया कि मोरबी की एक कंपनी में काम करने वाले करीब 28 श्रमिकों से झारखंड भेजने के नाम पर एक ठेकेदार ने प्रति श्रमिक 900 रुपये वसूली कर ली है।

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