तेरी महिमा से चलता यह सारा जग संसार है…

#राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा गूगल मीट पर काव्यगोष्ठी आयोजित

बोकारो। अखिल भारतीय साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर इकाई द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मंगलवार की देर शाम गूगल मीट पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय कवि संगम, बोकारो महानगर अध्यक्ष अरुण पाठक की अध्यक्षता व महासचिव ब्रजेश पांडेय के संचालन में आयोजित इस काव्यगोष्ठी में कवयित्री मीना झा, कस्तूरी सिन्हा, गीता कुमारी गुस्ताख, करुणा कलिका, कल्पना झा, शीला तिवारी, क्रांति श्रीवास्तव, सीमा सिंह, अक्षिता पाठक, साक्षी राय, अनिल कुमार श्रीवास्तव, विजय बहादुर तिवारी, सचिन्द्र कुमार बरियार, पंकज लाटा आदि ने महिला दिवस पर केंद्रित रचनाओं का पाठ किया।

गीता कुमारी गुस्ताख ने ‘नारी तू नारायणी हर रूप अवतार है/तेरी महिमा से चलता यह सारा जग संसार है..’, करुणा कलिका ने ‘रहे बंद लब तो बड़ी प्यारी हूँ मैं, बोल दिया तो फिर, बड़ी खारी हूँ मैं…’, कल्पना झा ने ‘विचारों की दुनिया में, हक तुम्हारा स्वीकार हुआ, शिक्षा ही वह माध्यम था, जब विकास का नींव पड़…’, क्रांति श्रीवास्तव ने ‘न तुम चांदनी बनना, न ही जेठ सी तपना/तुम कुवार की धूप बनना…’, अनिल कुमार श्रीवास्तव ने ‘वनिता बन यह धरा रूपसी, स्वयंसिद्धा कहलाई, चौसठ कला परिपूर्णा बन फिर, गुण संपूर्ण तरूणाई..’, कस्तूरी सिन्हा ने ‘अस्मिता हमारी कि हम आज की नारी हैं, मुश्किलों से हमने ना आज हार मानी है…’, सीमा सिंह ने ‘दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सीता/सत्य मार्ग दिखाने वाली है…’, शीला तिवारी ने ‘नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो…’ , अक्षिता पाठक ने ‘हां वो मां होती है, जिसके बिना दिन अधूरा-सा लगता है/जिसके बिना घर घर न लगता है…’, अरुण पाठक ने मैथिली कविता ‘नारी शक्ति अछि मान हमर…’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी।

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