मणिपद्म स्मृति जयंती सह मैथिली कवि सम्मेलन में काव्यरस से सराबोर हुए श्रोता

बोकारो। बोकारो में मैथिली भाषा-भाषियों की लब्ध प्रतिष्ठित संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद् द्वारा साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ ब्रज किशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ स्मृति जयंती समारोह सह मैथिली कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन शनिवार की देर शाम सेक्टर 4 ई स्थित मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल परिसर में हुआ। इस कवि सम्मेलन में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ शेफालिका वर्मा (दिल्ली), डाॅ जय प्रकाश चैधरी ‘जनक’, मणिकान्त झा (दरभंगा), सिया राम झा ‘सरस’ (रांची), कुमार मनीष अरविन्द (पटना), शिव कुमार झा ‘टिल्लू’ (जमशेदपुर) व सुधीर कुमार झा (कोलकाता) ने विभिन्न रस की कविताएं सुनाकर देर रात तक श्रोताओं को आनंदित किया।

समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि चास नगर निगम के अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा, उनकी पत्नी मीनाक्षी पाठक, आमंत्रित कविगण, मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के अध्यक्ष कुमुद कुमार ठाकुर, महासचिव राजेंद्र कुमार, सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक अरुण पाठक, मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष प्रभात कुमार झा, सचिव रविन्द्र झा आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर तथा मणिपद्म की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर किया। स्वागत भाषण परिषद् के अध्यक्ष के के ठाकुर ने किया। मुख्य अतिथि श्री झा ने अपने संबोधन में मणिपद्म जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस भव्य आयोजन की सराहना की। उन्होंने मिथिला संस्कृति की विशिष्ट पहचान खान-पान व ठहाका लगाकर हंसने को अनुपम बताते हुए सभी से इस संस्कृति को आगे भी ले जाने की अपील की।

परिषद् के पूर्व महासचिव हरि मोहन झा ने मणिपद्म को बहुआयामी रचनाकार के रूप में याद करते हुए साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त उनकी कृति ‘नैका बंजारा’ (उपन्यास) की विशेषरुप से चर्चा की। महासचिव राजेन्द्र कुमार ने कहा कि परिषद् द्वारा विगत दो वर्षों से मणिपद्म स्मृति जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर परिषद् की ओर से मुख्य अतिथि व आमंत्रित कवियों का स्वागत शाॅल भेंटकर किया गया। अरुण पाठक ने महाकवि विद्यापति रचित भगवती वंदना ‘जय-जय भैरवि असुर भयाउनि…’ के स्वागत गीत व विद्यापति के कुछ गीत सुनाकर समां बांध दिया। तबले पर धीरज तिवारी व हारमोनियम पर विश्वनाथ गोस्वामी ने अच्छी संगति की। उद्घाटन सत्र का मंच संचालन परिषद् के पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक शंभु झा ने किया।

उद्घाटन सत्र के बाद प्रख्यात वरिष्ठ हास्य कवि डाॅ जय प्रकाश चैधरी ‘जनक’ की अध्यक्षता व प्रसिद्ध कवि-गीतकार शिव कुमार झा ‘टिल्लू’ के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन की शुरुआत सुप्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ शेफालिका वर्मा के काव्यपाठ से हुई। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत कविताएं सुनाकर सबकी दाद पाई। चंद पंक्तियां देखें-‘ओस अश्रु अछि प्रिय हमरा, स्नेह सं बनल ई दुनियां, स्नेह सं बनल ई संसार…’। भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी व साहित्यकार कुमार मनीष अरविन्द ने अपनी ‘नाॅट रिकोमेंडेड’ शीर्ष कविता में प्रकृति को सबसे बड़ा भगवान मानते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के खिलाफ सबको आगाह किया। भारत निर्वाचन आयोग के आईकान व कवि-गीतकार मणिकान्त झा ने सरस्वती वंदना ‘हे हंसवाहिनी हेरियौ, हमरा हृदय हमर हहरैए हे…’ व गीत ‘बाबू के दुलारु अहां बड़का भैया रे…’, युवा कवि सुधाीर कुमार झा ने चंद्रयान-2 पर कविता ‘नपा गेल अछि चान, आब होई मंगल लेल तैयार’, शिव कुमार झा ने विधवा नारी की व्यथा पर ‘अस्तित्वक प्रश्न’ शीर्षक कविता में ‘ककरा सं कहबै के पतिएतै अपने तरंग में भीजलै दुनिया…’, वरिष्ठ कवि-गीतकार सिया राम झा ‘सरस’ ने गीत ‘अपन जननीक आंचल सन कोनो अनुराग नहि होइए…’ व गज़ल ‘एगो चेहरा गुलाबी राति भरि हमरा सूतऽ नहि दैए…’ सुनाकर सबकी भरपूर प्रशंसा पाई। अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए डाॅ जय प्रकाश चैधरी ‘जनक’ ने नारी सशक्तीकरण पर व्यंग्य ‘आधा अधिकार’ शीर्षक कविता ‘महिला आरक्षण भऽ रहलै सभ मे चाही आधा अधिकार…’ सहित अन्य हास्य-व्यंग्य से परिपूर्ण रचनाओं को सुनाकर सबकी भरपूर तालियां बटोरी। इस मौके पर तुलानंद मिश्र, सतीश चंद्र झा, केसी झा, माया नन्द झा, डाॅ विश्वकान्त पाठक, अनिमेष कुमार झा, अविनाश कुमार झा, विजय शंकर मल्लिक, अंजू झा, सुनील मोहन ठाकुर, श्याम चंद्र मिश्र ‘विनोद’, अमन झा, विवेकानंद झा, गंगेश पाठक, आर के कर्ण, शंभु झा, मनोज झा, गणेश झा, गोविंद कुमार झा, नीरज चैधरी, पीके झा चंदन, सुदीप ठाकुर, विजय कुमार झा, दीपक झा, किरण मिश्रा, बटोही कुमार, हरिश्चन्द्र झा, रामबाबू चैधरी, विश्वनाथ झा, मिहिर झा, चंद्रकांत मिश्र, श्रवण कुमार झा, पूनम मिश्रा, पूनम सिंह, वेंकटेश शर्मा, अरुण झा, डाॅ राकेश रंजन, बी राय, रुपक झा सहित काफी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।

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