सेल बना रहेगा देश के बुनियादी निर्माण का भरोसेमंद साझीदार

img_1878नई दिल्ली :  आज कंपनी की 46वीं वार्षिक आम बैठक में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के शेयरधारकों को संबोधित करते हुए सेल अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री सरस्वती प्रसाद ने कहा कि परिचालन लाभप्रदता में सुधार के लिए लगातार अपनाए गए रणनीतिक दृष्टिकोण के चलते सेल ने वित्त वर्ष 2017-18 में 5,184 करोड़ रुपयेEBITDA दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2016-17 की तुलना में महत्वपूर्ण वृद्धि है। आगे उन्होंने कहा कि कंपनी का बेहतर परिचालन निष्पादन, विक्रेय इस्पात उत्पादन में वृद्धि, कंटीन्यूअस कास्टिंग रूट से उत्पादन की अधिक हिस्सेदारी, बेहतर उत्पाद-मिश्र, ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता में सुधार, कोक दर और विशिष्ट ऊर्जा खपत में कमी, विशिष्ट श्रम लागत में कमी आदि परिचालन आयामों में सुधार के ज़रिये हासिल हुआ है। वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी ने अपने घाटे को करीब 83% कम किया है, जिससे कंपनी का एकल आधार पर कर-पश्चात लाभ वित्त वर्ष 2016-17 के रुपया (-) 2833 करोड़ के मुक़ाबले बढ़कर रुपया (-) 482 करोड़ हो गया। कंपनी का समेकित कर-पश्चात लाभ वित्त वर्ष 2016-17 के रुपया (-) 2756 करोड़ के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर रुपया (-) 281 करोड़ दर्ज किया गया।

श्री प्रसाद ने कहा कि सेल ने अपने शेष आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम को लगभग पूरा कर लिया है। उन्होंने बताया कि नई सुविधाओं के चालू होने और परिचालनगत निष्पादन में पिछले रिकार्ड्स से अधिक निष्पादन करने के जरिये वित्त वर्ष 2017-18 कई लैंडमार्क उपलब्धियों का गवाह बना। सेल ने अब तक का सर्वाधिक 159.83 लाख टन हाट मेटल, 150.21 लाख टन कच्चा इस्पात और 140.71 लाख टन विक्रेय इस्पात उत्पादन हासिल किया है। साथ ही, सेल ने कंटीन्यूअस कास्टिंग रूट से वित्त वर्ष 2016-17 तक के सर्वाधिक 117.7 लाख टन इस्पात उत्पादन के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2017-18 में 9% की वृद्धि करते हुए अब तक का सर्वाधिक 128 लाख टन इस्पात उत्पादन किया है। उन्होंने कहा,“सेल के सभी संयत्रों की उत्पादकता और दक्षता को बढ़ाने की दिशा में की गई पहलों से हर इकाई और बेहतर हुई है।”

भिलाई इस्पात संयंत्र का नया ब्लास्ट फर्नेस-8 ‘महामाया’ और स्टील मेल्टिंग शॉप-3 वित्त वर्ष 2017-18  के दौरान चालू किया गया और अपनी नई रेल मिल से भारतीय रेलवे को लंबे रेल पैनल (260 मीटर) की आपूर्ति करते हुए, वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 112% की वृद्धि दर्ज की। दुर्गापुर इस्पात संयंत्र के व्हील और एक्सेल प्लांट में नैरोगेज व्हील और स्ट्रक्चरल मिल (एमएसएम) में ई-350 ग्रेड के उच्च शक्ति स्ट्रक्चरल का विकास आंतरिक संसाधनों से किया गया। राउरकेला इस्पात संयंत्र की नई प्लेट मिल ने वित्त वर्ष 2017-18 में 8 लाख टन से अधिक प्लेट का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुक़ाबले 48.1% अधिक है। साथ ही, यूरोपियन बाज़ार के लिए 1,27,000 टन सीई मार्क्ड़ प्लेट का निर्यात भी किया है। बोकारो इस्पात संयंत्र ने अपने बेहतर उत्पादन के लगातार प्रयासों से 32.76 लाख टन (पिछला सर्वाधिक उत्पादन: 29.90 लाख टन) कास्ट स्लैब का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। साथ ही, पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 7.76 लाख टन मुक़ाबले अब तक का सर्वाधिक 9.16 लाख टन सीआर कॉइल का उत्पादन किया है।

वैश्विक और घरेलू इस्पात उद्योग के सकारात्मक माहौल को देखते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि घरेलू इस्पात की मांग में वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा योगदान भारत के बुनियादी निर्माण के क्षेत्र में जारी तेज विकास का है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान गहन इस्पात क्षेत्रों की बढ़ती गतिविधियों के चलते घरेलू तैयार इस्पात खपत में 7.8%  की वृद्धि से भी घरेलू इस्पात की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि  सेल देश का भरोसेमंद इस्पात आपूर्तिकर्ता बना रहेगा और सेल इस्पात का इस्तेमाल देश की प्रमुख विकास परियोजनाओं में किया जा रहा है।

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