देश के इस्पात उत्पादन में सेल की है बड़ी हिस्सेदारी और विश्वस्तरीय इस्पात का कर रहा है उत्पादन : इस्पात मंत्री

sail“सेल का इस देश के कुल इस्पात उत्पादन में एक बड़ी हिस्सेदारी है। सेल आज न केवल उत्पादन तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी है बल्कि विश्वस्तरीय इस्पात का उत्पादन भी कर रहा है।” यह वक्तव्य माननीय केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने सेल के राउरकेला इस्पात संयंत्र के अपने दौरे के दौरान प्रेस को संबोधित करते हुये कही। श्री सिंह ने माननीय केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुआल ओराम की उपस्थिति में 11 जून 2018 को आरएसपी के पुनर्निर्मित ब्लास्ट फर्नेस -1 ‘पार्वती’ को राष्ट्र को समर्पित किया।

इससे पहले, माननीय मंत्री ने इस्पात जनरल अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग की नींव रखी। यह इकाई क्षेत्र में अद्वितीय होगी और न केवल राउरकेला के लोगों की बल्कि आस-पास स्थित राज्यों और जिलो के निवासियों की भी आवश्यकताओं को  पूरा करेगी।

अपने सम्बोधन में श्री सिंह ने कहा, “वित्त वर्ष 2017-18 में 102 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के साथ, देश के इतिहास में पहली बार स्टील उत्पादन तीन अंको तक पहुंचा है। यह पिछले चार वर्षों के दौरान की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है और पिछले दो वर्षों में स्टील का शुद्ध निर्यातक भी बन गया है।” आगे उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में रेटेड स्टील उत्पादन क्षमता में 32% की वृद्धि हुई है और यह 134 मिलियन टन तक पहुंच गई है। श्री चौधरी ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में इस्पात उद्योग देश के जीडीपी में 2% योगदान देता है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “इस्पात नीति के अनुसार, हम 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील क्षमता स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। सेल के राउरकेला स्टील प्लांट की क्षमता वृद्धि सरकार के इस दृष्टिकोण में योगदान देगी। हम आरएसपी की क्षमता को दुगना करके 8.2 मिलियन टन तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जो कि इस संयंत्र के लिए हमारा अगला लक्ष्य है। “

उल्लेखनीय है कि ब्लास्ट फर्नेस -1 ‘पार्वती’ सेल का पहला ब्लास्ट फर्नेस है, जिसे भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 3 फरवरी 1959 को देश को समर्पित किया गया था। बेहतर प्रौद्योगिकी वाली पुनर्निर्मित ब्लास्ट फर्नेस में उच्च उत्पादन क्षमता है। इस पुनर्निर्माण के साथ ब्लास्ट फर्नेस की वार्षिक उत्पादन क्षमता 0.438 मिलियन टन से 1.015 मिलियन टन हो गई है।

उन्होंने आगे कहा, “भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राउरकेला में एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित करने का वादा किया था, और आज सुबह शिलान्यास के साथ इस दिशा में शुरुआत की गई है। आने वाले दिनों में इन सुविधाओं को और बढ़ाया जाएगा।”

माननीय मंत्री ने सरकारी नीतियों जैसे देश में ही निर्मित आयरन एंड स्टील उत्पादों (डीएमआईएसपी), बीआईएस मानकों की शुरूआत, सरकारी परियोजनाओं में लाइफ सायकल कास्ट की अवधारणा की शुरूआत और स्क्रैप से हाईएंड स्टील के उत्पादन पर भी विस्तार से बातचीत की। उन्होंने वर्ष 2030 तक 160 किलोग्राम प्रति व्यक्ति स्टील खपत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश में स्टील की खपत बढ़ाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर के बारे में बताया। उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार सालों में इस्पात खपत 48 मिलियन टन से बढ़कर 68 मिलियन टन हो गई है।

इससे पहले, माननीय मंत्री ने विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों के सदस्यों से मिले। उन्होंने इस्पात संयंत्र के अधिकारियों के साथ बातचीत में संयंत्र के निष्पादन की भी समीक्षा की और उत्पाद प्रोफ़ाइल को बेहतर बनाने की सलाह दी।

श्री चौधरी ने विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में विभिन्न पुरस्कार विजेता 18 हॉकी खिलाड़ियों और सेल हॉकी अकादमी के दो प्रशिक्षकों को सम्मानित किया। उन्होंने प्रत्येक पुरस्कृत खिलाड़ी और प्रशिक्षक के लिए 50,000 रुपया नकद पुरस्कार की घोषणा की। उन्होंने सेल अकादमी में हॉकी खिलाड़ियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था और अकादमी में बालिका टीम बनाने के लिए सराहना की।

इस्पात मंत्रालय की सचिव डॉ अरुणा शर्मा, इस्पात मंत्रालय के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी श्री बिनॉय कुमार, संयुक्त सचिव, इस्पात मंत्रालय श्री पुनीत कंसल, सेल अध्यक्ष श्री पी के सिंह, सेल के निदेशक (परियोजनाएं और व्यापार योजना)डॉ जी. विश्वकर्मा, सेल के निदेशक (कार्मिक) श्री अतुल श्रीवास्तव, राउरकेला इस्पात संयंत्र के सीईओ श्री अश्विनी कुमार और सेल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी और कार्मिक बड़ी संख्या में इस अवसर पर मौजूद थे।

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