साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी व होली मिलन आयोजित

बोकारो। साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी सह होली मिलन का आयोजन रविवार की शाम वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ के सेक्टर 8 स्थित आवास पर हुआ। साहित्यकार उदय कुमार झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचनागोष्ठी में मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचनाओं सहित होली पर केंद्रित रचनाओं का पाठ किया किया गया।

गोष्ठी में कवयित्री नीलम झा ने ‘सनेस’, ‘रत्न’ व ‘अतिथि’, राजीव कंठ ने हिन्दी कविता ‘फूल खिले पलाश के’ व मैथिली कविता ‘होली आबि गेल’, भुटकुन झा ने मैथिली में ‘होली सभ मिलि खेलथि, प्रेमक रंग लगाय/प्रेमक रंग परम पावन अछि प्रभु सं देत मिलाय’ व संस्कृत में ‘पुनरायातः कोरोना’, विजय शंकर मल्लिक ने हिंदी में ‘आ करले जीवन को सुखकर’ व मैथिली कविता ‘कतय होयब हम ठाढ’ एवं ‘करि ने जीवन अनोन’, अरुण पाठक ने ‘होली पावनि अछि मनभावन एकरा सभ मिलि संग मनाउ…’, उदय कुमार झा ने संस्कृत में ‘वृक्षेषु बुद्धिमत्तरः‘ व मैथिली में ‘बतहा’ शीर्षक कविता सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। गोष्ठी के अंत में हाल ही दिवंगत हुए मैथिली के प्रख्यात साहित्यकार डाॅ रामदेव झा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी।

साहित्यकार भुटकुन झा ने इन पंक्तियों से स्व. रामदेव झा को श्रद्धांजलि दी-‘उजड़ि रहल अछि घर पुरान, नवका सभ नोर बहाबय/काव्य जगत केर दिव्य ज्योति के श्रद्धा केर सुमन चढ़ावय, गोष्ठी से आॅनलाइन कोलकाता से डाॅ संतोष कुमार झा व दिल्ली से जुड़े साहित्यलोक के संस्थापक महासचिव तुला नन्द मिश्र व पूर्व महासचिव गिरिजा नन्द झा ‘अर्धनारीश्वर’ ने मैथिली साहित्य के संवर्द्धन में डाॅ रामदेव झा के योगदान को अविस्मरणीय बताते हुए उनके निधन को अपूरणीय क्षति करार दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *