बोकारो: मैथिली रचनाकारों की चर्चित साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी रविवार की शाम कवि व गायक अरुण पाठक के सेक्टर 6डी स्थित आवास पर आयोजित हुई। कवि राजीव कंठ की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचनागोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, डॉ रणजीत कुमार झा, राजेन्द्र कुमार, अरुण कुमार पाठक, नीलम झा व मुकेश कुमार सिंह ने शिकरत की।
रचनागोष्ठी की शुरुआत अरुण पाठक द्वारा महाकवि विद्यापति रचित भगवती वंदना ‘जय-जय भैरवि असुर भयाउनि, पशुपति भामिनी माया…’ की भावपूर्ण प्रस्तुति के साथ हुई। अरुण ने अपनी रचना मैथिली में प्रकृति गीत-प्रकृति बिना नहि जीवन बचतै सभ मिलि एहि पर चिंतन करबई…’ सुनाकर पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया। कवयित्री नीलम झा ने हिन्दी में ‘मझधार में खड़ी हूं मेरी पार कर दे नैया…’ व मैथिली में ‘अहां के बिना यौ सजना नहि कोनो ठाम यौ…’, राजेन्द्र कुमार ने मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत लघुकथा ‘लाट भाइक स्वाभिमान’, अमन कुमार झा ने कहानी ‘केयर इकॉनोमी’ व कविता ‘सेवा, आदर, मान’, डॉ रणजीत कुमार झा ने गीत ‘दाई गे बड़ अजगुत हम, देखलहुं एहि फुलवारी में…’ व विधवा व्यथा पर केंद्रित गीत, विजय शंकर मल्लिक ने मैथिली कविता ‘किछु बिम्ब’, ‘चानक’-ओ बड़का चानक द‘ गेल, समय सोच सं आगां भेल….’ व हिन्दी दोहे-‘आचरण पहचान है, घर छप्पर सजे ना शान/धन, विद्या नरख्यात कर, अधः कर्म अपमान…’ सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई। अध्यक्षीय काव्यपाठ में राजीव कंठ ने ‘उगना आब त उगू ने’ व ‘प्रजातंत्र का महापर्व’ सुनाकर सबकी दाद पाई।