डीपीएस बोकारो की छात्रा अंजलि ने बैसाखी को बनाया हौसले का सहारा

बोकारो : शारीरिक रूप से लाचार लोगों के चलने-फिरने में बैसाखी काफी सहायक होती है, लेकिन इस बैसाखी के सहारे वह लाचार व्यक्ति अधिक दूर तक नहीं चल-फिर सकता। ऐसे में इस आम बैसाखी को खास बनाते हुए अक्षम लोगों के लिए हौसले का सहारा बनाया है डीपीएस बोकारो, झारखंड की मेधावी छात्रा अंजलि शर्मा ने। दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोकारो में नौवीं कक्षा की छात्रा अंजलि ने ऐसी बैसाखी तैयार की है, जो हाइटेक सुविधाओं से युक्त है और समय आने पर कुर्सी में भी तब्दील हो जाती है। चलते-चलते जब व्यक्ति थक जाए, तो उस बैसाखी के दोनों ओर लगी एडजस्टेबल सीट को आपस में जोड़कर उसे कुर्सी का रूप दिया जा सकता है। ‘आल इन वन हैंड क्रचेज’ नामक इस विशेष बैसाखी के लिए अंजलि को इस वर्ष भारत सरकार की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए चयनित किया गया है। सरकार की ओर से उसे अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई है।

लोकेशन बताती है बैसाखी, आपात स्थिति में ऑटोमेटिक कॉलिंग भी
इस बैसाखी में खास बात यह है कि इसे लेकर चलने-फिरने वाले का लोकेशन भी उनके परिजनों को आसानी से मिल सकता है। वह कहां, किस रास्ते से होकर गुजर रहा है और कहां पहुंचा है, यह सब उसके परिजन घर बैठे देख सकते हैं। यही नहीं, आपात परिस्थिति में इससे परिजनों को सीधे कॉल भी चला जाएगा। अंजलि ने बताया कि इसमें वह सेंसर, एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सिम कार्ड आदि इंस्टॉल कर ऑटोमेटिक कॉलिंग की भी सुविधा दे रही है। चलते-चलते अगर व्यक्ति गिर जाए, तो उस समय बैसाखी पर पड़ने वाले अप्रत्याशित झटके का पता लगाकर सेंसर की मदद से खुद-ब-खुद परिजनों को फोन चला जाएगा। इसके लिए उसने एमसीयू में कंप्यूटर कोडिंग से जरिए संबंधित फोन नंबर को फीड किया है। ऑटोमेटिक कॉलिंग सेंसर के अलावा वह इमरजेंसी पुश बटन से भी कॉलिंग की सुविधा पर काम कर रही है। बता दें कि अंजलि ने लड़कियों की सुरक्षा के लिए ऑटोमेटिक कॉलिंग वाच भी बनाई है, जिसके लिए विगत वर्ष भी उसका चयन इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया था। वह तकनीक भी अंजलि इस बैसाखी में इस्तेमाल कर रही है।

  • समय आने पर बन जाती है कुर्सी, टॉर्च-बैग सहित जीपीएस की सुविधा भी
  • अनूठी नवोन्मेषता के लिए इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में हुआ चयन

 

कंधे को मिलेगा गद्देदार सहारा, लंबाई के मुताबिक एडजस्टेबल भी
अंजलि ने अपनी खास बैसाखी में ऐसी व्यवस्था की है कि उसे व्यक्ति की लंबाई या या सुविधा के मुताबिक एडजस्ट भी किया जा सकता है। बैसाखी पर हाथ रखने और कंधे वाली जगह पर कुशन पैड लगाकर गद्देदार सहारा भी दिया गया है। अंधेरे में उस दिव्यांग अथवा अक्षम व्यक्ति को चलने में दिक्कत न हो, इसके लिए उसमें एलईडी टॉर्च लगाया गया है। बाजार जाने पर फल-सब्जी की खरीदारी के लिए उसमें जालीदार पॉकेट और मोबाइल व अन्य आवश्यक कागजात आदि को सुरक्षित रखने के लिए वाटरप्रूफ पॉकेट की भी व्यवस्था है। झटके से बचाने के लिए शॉक एब्जार्बर भी है। उसने कहा कि अगर मेडिकल सेक्टर से उसे सहायता मिले, तो वह अस्पतालों व अन्य चिकित्सीय स्थानों से जरूरतमंदों के लिए अपने प्रोजेक्ट को लाभप्रद बना सकती है।

अपने पिता की परेशानी देख सूझा आइडिया
अंजलि ने बताया कि वह जब पांचवीं कक्षा में थी, उस समय उसके पिता के घुटने के लिगामेंट का ऑपरेशन हुआ था। उन दिनों वह बैसाखी के सहारे चलते थे। बाजार से दूध वगैरह लेकर आने में दिक्कत होती थी। खासकर अंधेरे में चलने में काफी परेशानी होती थी। एक बार वह गिरकर चोटिल हो गए थे। उस समय से ही उसके मन में विशेष बैसाखी बनाने का विचार चल रहा था, जिसे उसने अब साकार कर दिखाया है। इस काम में स्कूल के गाइड टीचर मो. ओबैदुल्लाह अंसारी ने उसकी विशेष मदद की। इसे तैयार करने में उसे लगभग तीन हजार रुपए की लागत आई है। बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारी अनंत कुमार गौरव और शिक्षिका राखी गौरव की होनहार सुपुत्री अंजलि की दिली ख्वाहिश आगे चलकर आईटी में इंजीनियरिंग के बाद एक आईएएस अधिकारी बनने की है। उसे रोबोटिक्स में काम करने का अनुभव रहा है।

दिव्यांगों के लिए वरदान है हाइटेक बैसाखी : प्राचार्य
अपने विद्यालय की छात्रा अंजलि शर्मा द्वारा हाइटेक बैसाखी बनाने के कार्य को डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार ने महत्वपूर्ण और सराहनीय बताया है। उन्होंने कहा कि उसका प्रोजेक्ट दिव्यांगजनों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद है और वास्तव में एक वरदान से कम नहीं है। अपनी कुशल प्रतिभा की बदौलत अंजलि ने एक बार पुनः इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए चयनित होकर स्कूल और शहर का नाम गौरवान्वित किया है।

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