स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती की 107वी जयंती मनाई गई


इस पुनीत यज्ञ की आचार्या परम् पूज्या स्वामिनी संयुक्तानंदा सरस्वती ने अति भावुक होते हुए परम् पूज्य गुरुदेव के महानतम गुणों का वर्णन किया और साथ ही बड़े ही मार्मिक ढंग से गुरुत्व का सही विवेचन किया। उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर हमने भगवान को देखा नही है लेकिन भगवान सदगुरु के रूप में हमारे जीवन में आते है । वह मनुष्य अतिभाग्यशाली है जिसपर सद्गुरु की कृपादृष्टि होती है।
गुरु की कृपा से इसके अन्तस् मन के तमस तो दूर होता ही है, जीवन की विपरीत परिस्थितियों में गुरु अपना हाथ बढ़ाकर कल्याण करते है। गुरु की कृपा से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है वरण प्रचुर भौतिक सुखों की भी प्राप्ति होती है। इसलिए हमेशा अपने गुरु को स्मरण करे। गुरु पर विश्वास कर एवम भगवान मान कर उनकी आराधना करें। हम सब अत्यंत भाग्यशाली हैं कि गुरुदेव स्वामी चिन्मयानंद के आदर्श पर स्थापित चिन्मय विद्यालय के सदस्य हैं। यह सिर्फ एक विद्यालय नही है यह ज्ञान का महापुनज है, तप का महातेज है क्योंकि यहाँ परमपूज्य गुरुदेव से लेकर अनेक महान संत पधार चुके है। जिन्होंने अपने तपांश से इस विद्यालय को ऊर्जावान किया है। आप सभी भगवान, आत्मा एवम गुरु में भेद का करें।
गुरु को अपना भगवान मैन कर हमेशा स्मरण करें। गुरु हमे सभी समस्याओं एवम कष्टों से दूर कर अनंत आनंद सागर में स्वतंत्र विचरण करने योग्य बना देंगे। इस शुभ अवसर पर पूजा अर्चना में विद्यालय के अध्यक्ष बिशरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी, प्रभारी प्राचार्य गौतम कुमार नाग, पूर्व प्राचार्य अशोक झा ने भाग लिया एवम पूजा अर्चना की।