आशीष सिन्हा
अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 1 अगस्त से 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। यह कदम भारत पर व्यापार और भू-राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसका नुकसान अमेरिका को भी गंभीर रूप से हो सकता है।
अमेरिका पर असर: खुद अपने ही फैसले का शिकार?
दवाइयों के दाम बढ़ सकते हैं
भारत, अमेरिका को सस्ती जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। अब इन पर 25% शुल्क लगने से:
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मरीजों और बीमा कंपनियों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
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अस्पतालों में जरूरी दवाइयों की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
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पुरानी बीमारियों के इलाज में खर्च बढ़ सकता है।
नतीजा: अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाएं और महंगी होंगी।
कपड़ों और रिटेल में बढ़ेगा खर्च
भारत से अमेरिका को कॉटन और रेडीमेड वस्त्र भारी मात्रा में निर्यात होते हैं। अब:
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दुकानदारों की लागत बढ़ेगी।
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आम उपभोक्ताओं के लिए कपड़े महंगे होंगे।
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छोटे व्यापारी प्रभावित होंगे।
नतीजा: इस फॉल-विंटर सीजन में अमेरिका में कपड़ों के दाम बढ़ सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो उद्योग में झटका
भारत से अमेरिका को सर्किट बोर्ड, ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान भेजे जाते हैं। टैरिफ लगने से:
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अमेरिकी कंपनियों की निर्माण लागत बढ़ेगी।
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चीन से हटकर भारत पर निर्भरता का प्लान बाधित होगा।
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SME कंपनियों को उत्पादन में दिक्कतें आएंगी।
कम होंगी उपभोक्ताओं की पसंद
बासमती चावल, चमड़े के सामान, हस्तशिल्प और गहनों की अमेरिकी बाजार में बड़ी मांग है। टैरिफ के कारण:
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इन उत्पादों के दाम बढ़ जाएंगे।
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (Amazon, Etsy) पर भारतीय सामान कम दिखाई देंगे।
रणनीतिक साझेदारी पर असर
भारत अमेरिका का इंडो-पैसिफिक में अहम रणनीतिक सहयोगी है। अब टैरिफ लगाने से:
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रक्षा और व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ सकता है।
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अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करने से हिचकेंगी।
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चीन के विकल्प के रूप में भारत की स्थिति कमजोर होगी।
भारत की जवाबी कार्रवाई का खतरा
भारत भी जवाबी शुल्क लगा सकता है या अमेरिकी कंपनियों की पहुंच सीमित कर सकता है:
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सेक्टर: बादाम, सेब, तकनीकी सेवाएं, रक्षा उत्पाद
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नतीजा: अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत जैसे विशाल बाजार में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
भारत पर असर: निर्यातकों की चिंता बढ़ी, लेकिन कूटनीति से उम्मीद
अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा घटेगी
25% शुल्क से भारतीय सामान अब वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में महंगे हो जाएंगे।
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कपड़ा, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, गहनों का निर्यात घट सकता है।
नए ऑर्डर में गिरावट
कई निर्यातकों ने बताया है कि उन्हें अमेरिका से नए ऑर्डर मिलना कम हो गए हैं।
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विशेष रूप से लघु उद्योग, टेक्सटाइल और चमड़ा उद्योग प्रभावित होंगे।
आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं सुरक्षित
भारत की डिजिटल सेवाएं और आईटी निर्यात पर भौतिक टैरिफ का असर नहीं है। ये क्षेत्र फिलहाल स्थिर हैं।
चीन से अप्रत्यक्ष दबाव
चीन भी अमेरिकी टैरिफ झेल रहा है, इसलिए वह यूरोप को डिस्काउंट पर सामान भेज रहा है, जिससे भारतीय निर्यातकों को और कठिनाई हो सकती है।
भारत से अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात (2024 के आंकड़े):
श्रेणी | निर्यात मूल्य (अमेरिकी डॉलर में) |
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इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण | $14.40 अरब |
दवाइयां | $12.73 अरब |
रत्न और आभूषण | $11.88 अरब |
मशीनरी और बॉयलर | $7.10 अरब |
ऑर्गेनिक केमिकल्स | $3.63 अरब |
पेट्रोलियम उत्पाद | $3.23 अरब |
वस्त्र और रेडीमेड कपड़े | $3.10 अरब |
लोहा और इस्पात उत्पाद | $2.83 अरब |
ऑटो पार्ट्स | $2.80 अरब |
चमड़ा, हस्तशिल्प, डेकोर | $2.52 अरब |
कूटनीति से रास्ता निकल सकता है: 25 अगस्त को अहम बैठक
भारत और अमेरिका के बीच 25 अगस्त को नई दिल्ली में व्यापार वार्ता (BTA) का अगला दौर होने जा रहा है।
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उम्मीद है कि इस बातचीत से टैरिफ कम या समाप्त हो सकता है।
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कई विशेषज्ञ इसे राजनीतिक दबाव की रणनीति मानते हैं, स्थायी नीति नहीं।
निष्कर्ष: दोनों देशों को होगा नुकसान
यह 25% टैरिफ सिर्फ भारत के लिए झटका नहीं है—अमेरिका की अर्थव्यवस्था, उपभोक्ता और कंपनियां भी इसकी कीमत चुकाएंगी। दवाइयों से लेकर परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर गहनों तक—हर सेक्टर पर असर पड़ेगा। आने वाली कूटनीतिक बातचीत में ही समाधान की उम्मीद है।