वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बड़ा वार करते हुए कई भारतीय सामानों पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया है। वजह बताई गई है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि खुद अमेरिका रूस के साथ ऊर्जा समझौते की बातें कर रहा है। इसी वजह से ट्रंप पर “दोहरा रवैया” अपनाने का आरोप लग रहा है।
नई टैरिफ़ दरों का सीधा असर भारत के कपड़ा, जूते, रसायन और रत्न-आभूषण जैसे बड़े निर्यात सेक्टर पर पड़ेगा। कारोबारी मान रहे हैं कि इससे अरबों डॉलर के निर्यात पर चोट लगेगी और लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी प्रभावित होगी।
भारत ने इस कदम को “अनुचित और भेदभावपूर्ण” बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। सरकार ने कहा है कि वह अपने निर्यात बाज़ारों में विविधता लाने और प्रभावित उद्योगों को सहारा देने के कदम उठाएगी, लेकिन बातचीत का रास्ता भी खुला रखा है।
दुनिया में सबसे ज़्यादा सवाल इस पर उठ रहे हैं कि जब भारत को रूस से तेल खरीदने पर सज़ा दी जा रही है, तो अमेरिका खुद रूस के साथ ऊर्जा सहयोग की बातचीत क्यों कर रहा है? आलोचकों का कहना है कि यह साफ़ “नीति का दोहरा खेल” है।
अमेरिकी बिज़नेस लॉबी ने भी चेताया है कि अगर ये टैरिफ लंबे समय तक जारी रहे तो अमेरिका के खुद के बाज़ारों में महंगाई और सप्लाई चेन का संकट खड़ा हो सकता है।
फिलहाल दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना बनी हुई है। लेकिन अगर समाधान जल्द नहीं निकला तो ये टैरिफ़ विवाद एक बड़े व्यापारिक टकराव में बदल सकता है—और इसके केंद्र में होगा रूस का तेल।