बोकारो: बोकारो की प्रतिष्ठित सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद् का मुख्य वार्षिक उत्सव 55 वां दो दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व समारोह का भव्य आयोजन रविवार की देर रात संपन्न हुआ। दूसरे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बीएसएल के ईडी (सामग्री प्रबंधन व कार्मिक एवं प्रशासन) वी के पाण्डेय व विशिष्ट अतिथि सीजीएम (नगर सेवाएं) बी एस पोपली ने दीप प्रज्ज्वलित कर व महाकवि विद्यापति की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया।
स्वागत भाषण परिषद् के अध्यक्ष अनिल कुमार ने किया जबकि महासचिव अविनाश कुमार झा ने परिषद् की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि श्री पांडेय ने परिषद् की गतिविधियों की सराहना करते हुए महाकवि विद्यापति को विशिष्ट कवि के रूप में याद करते हुए उनकी याद में इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताया। श्री पोपली ने भी महाकवि विद्यापति को महान विभूति के रूप में याद किया। अतिथियों को मिथिला पेंटिंग व पाग-डोपटा भेंट कर सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन प्रीति राय व धन्यवाद ज्ञापन परिषद् के उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत परिषद् के प्रेस सचिव व प्रसिद्ध गायक अरुण पाठक ने महाकवि विद्यापति की रचना ‘जय-जय भैरवि असुर भयाउनि…’ व स्वागत गीत ‘मंगलमय दिन आजु हे पाहुन छथि आयल…’ सुनाकर की. अरुण पाठक ने मिथिला वर्णन ‘अपन मिथिला के गाथा हम सुनू एखने सुनाहै छी..व अन्य गीतों को.सुनाकर समां बांध दिया। उदीयमान गायिका अक्षिता पाठक ने मिथिला वर्णन ‘मैथिल छी मिथिला वास हमर, हमरा सन जग में भाग्य ककर…’ की सुमधुर प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अरुण पाठक व करिश्मा प्रसाद ने युगलगीत ‘अहां छी हमरा दिल के धड़कन यै…’ व ‘स्वर्ग सं संुदर मिथिला धाम…’ की प्रस्तुति से सबको आकर्षित किया।
मिथिला महिला समिति की अध्यक्ष किरण मिश्रा, सचिव चंदा झा, आशा झा, अमिता झा, मधुलता झा, स्मिता चौधरी, पिंकी झा, भारती झा, नमिता झा, पूनम झा, अनिशा झा, अनुपमा झा व जयंती पाठक ने विद्यापति के गीत ‘ए धनि कमलिनि सुन हित बानि…’ की सुमधुर प्रस्तुति की। करिश्मा प्रसाद ने ‘सुनू सुनू रसिया…’ व ‘जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर हे…’ सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही ली. गायिका रंजना राय, नवोदित गायिका प्रशंसा ने भी मैथिली गीतों की सुंदर प्रस्तुति से सबको आनंदित किया। कार्यक्रम में कीबोर्ड पर राजेन्द्र, ढोलक पर राकेश कुमार सिंह, पैड पर मनोज, हारमोनियम पर विश्वनाथ गोस्वामी व गिटार पर बबलू ने अच्छी संगति की।
समारोह के दूसरे दिन का खास आकर्षण रहा सामाजिक व समसामयिक मैथिली नाटक ‘लौंगिया मिरचाई’ का सशक्त मंचन। इस नाटक में सामाजिक ताना-बाना, वर्तमान परिवेश, स्टेटस सिंबल को लेकर लोगों की मनोदशा आदि का बहुत ही सुंदर चित्रण किया गया। नाटक के कथानक के अनुसार एक ईमानदार शिक्षक अपने छोटे भाई को बड़े अरमानों से शिक्षित करता है और जब वह एक इनकम टैक्स का अधिकारी बन जाता है तो उसकी शादी स्टेटस सिंबल के चक्कर में एक घूसखोर इंजीनियर की बेटी से हो जाती है। इस शादी को करवाने में गांव के घूटर बाबू की मुख्य भूमिका होती है। शादी के बाद दुल्हन अपने पति को परिवार से अलग कर देती है और इसके बाद जो स्थिति बनती है इसी को इस नाटक में दर्शाया गया है।
प्रसिद्ध लेखक स्व. लल्लन प्रसाद ठाकुर द्वारा लिखित इस नाटक का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी राजेन्द्र कुमार व शंभु झा के निर्देशन में हुआ जिसमें विभिन्न भूमिकाओं में सुनील मोहन ठाकुर (घूटर बाबू), भृगुनंदन ठाकुर उर्फ छोटू जी (दिवाकर बाबू), शम्भु झा (मास्टर साहेब), अमरजीत चौधरी (चंद्रकांत), अंजलि चौधरी (भौजी), शशांक पाठक (नरेंद्र), अदिति झा (रीता), गिरजा नंद झा (फुकना) व बाल कलाकार अंश कुमार झा (गेना) ने बहुत ही सशक्त अभिनय का प्रदर्शन कर नाटक को जीवंत बना दिया। नाटक में प्राउंटर की भूमिका में रमण कुमार ठाकुर, पार्श्व संगीत चंद्र कान्त मिश्र व प्रकाश व्यवस्था गंगेश पाठक की थी। धन्यवाद ज्ञापन परिषद् के सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक शंभु झा ने किया।
इस अवसर पर बुद्धिनाथ झा, बलराम चौधरी, ए के झा, हरिमोहन झा, पी के झा, बटोही कुमार, श्रीमोहन झा, परिषद् के उपाध्यक्ष अनिमेष कुमार झा, संयुक्त सचिव समरेन्द्र झा, कोषाध्यक्ष प्रदीप कुमार झा, सहायक सचिव अविनाश अवि, मिहिर झा राजू, संतोष मिश्र, नीरज चौधरी, उषा झा, मधुबाला झा, कमलेश मिश्र, पशुपति झा सहित काफी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।