अंधेरे से उजाले की ओर: विंटर सॉल्सटिस का महत्व और विज्ञान
by Apurva
विंटर सॉल्सटिस को आसान भाषा में समझिए
हर साल 21 या 22 दिसंबर को एक खास खगोलीय घटना होती है, जिसे विंटर सॉल्सटिस कहा जाता है। यही वह दिन होता है जब दिन सबसे छोटा और रात सबसे लंबी होती है। इसके बाद धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते हैं।
विंटर सॉल्सटिस क्या होता है?
Solstice शब्द लैटिन भाषा के Solstitium से आया है, जिसका मतलब है —
“सूरज का ठहर जाना।”
इस दिन ऐसा लगता है मानो सूर्य अपनी दिशा बदलने से पहले थोड़ी देर के लिए रुक गया हो। खगोलीय रूप से, इस समय सूरज की सीधी किरणें मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर पड़ती हैं।
दिन सबसे छोटा क्यों हो जाता है?
इसका सबसे बड़ा कारण है — पृथ्वी का 23.5 डिग्री का झुकाव।
विंटर सॉल्सटिस के समय:
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उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) सूरज से सबसे ज़्यादा दूर झुका होता है
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सूरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं
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सूरज आसमान में कम समय के लिए दिखाई देता है
इसी वजह से दिन की अवधि घटकर करीब 10 घंटे 19 मिनट रह जाती है, और रात सबसे लंबी हो जाती है।
ऋतुएँ कैसे बदलती हैं?
पृथ्वी का झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसका घूमना मिलकर ऋतुओं को बनाते हैं:
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जब पृथ्वी सूरज की ओर झुकती है → गर्मी, लंबे दिन
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जब पृथ्वी सूरज से दूर झुकती है → सर्दी, छोटे दिन
यही कारण है कि जब भारत में सर्दी होती है, तब दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी रहती है।
भारतीय परंपरा में इसका महत्व
भारतीय संस्कृति में यह समय दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर संक्रमण का संकेत देता है।
उत्तरायण को:
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शुभ समय
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नई शुरुआत
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सकारात्मक ऊर्जा
से जोड़ा जाता है।
इसी वजह से इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
आसान शब्दों में …
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साल की सबसे लंबी रात
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सबसे छोटा दिन
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सूरज मकर रेखा के ऊपर
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कारण: पृथ्वी का झुकाव
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अब से दिन धीरे-धीरे बड़े होंगे
विंटर सॉल्सटिस हमें याद दिलाता है कि अंधेरा चाहे जितना गहरा हो, रोशनी की वापसी तय है। ✨

