भारत और पाकिस्तान को एक साथ क्यों देखना चाहता है अमेरिका ? जानिए जनरल कुरिल्ला का बयान
वॉशिंगटन/नई दिल्ली : अमेरिका के सेंट्रल कमांड प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने कहा है कि अमेरिका को भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने संबंध बनाए रखने चाहिए क्योंकि पाकिस्तान की सेना ने इस्लामिक स्टेट-खोरासान (ISIS-K) के खिलाफ अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, उनका यह बयान नई दिल्ली को रास नहीं आ सकता।
जनरल कुरिल्ला, जो इस गर्मी में रिटायर होने वाले हैं, ने पाकिस्तान को “आतंकवाद के खिलाफ एक जबरदस्त साझेदार” बताया और पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की ISIS-K के खिलाफ कार्रवाई की तारीफ की।
उन्होंने कहा, “हम भारत और पाकिस्तान दोनों से संबंध रख सकते हैं। यह कोई बाइनरी विकल्प नहीं है कि अगर भारत से रिश्ते हैं तो पाकिस्तान से नहीं हो सकते।”
ISIS-K एक खतरनाक आतंकी संगठन है जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे इलाकों में सक्रिय है और अमेरिका पर भी हमले की साजिशें रचता रहा है। कुरिल्ला ने बताया कि तालिबान के दबाव के चलते ISIS-K के कई आतंकी अफगान-पाक सीमा की आदिवासी पट्टी में छिपे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिकी खुफिया मदद से ISIS-K के खिलाफ दर्जनों आतंकी मारे हैं और कम से कम पांच ‘हाई-वैल्यू टारगेट्स’ पकड़े हैं।
जनरल कुरिल्ला ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने मोहम्मद शरीफुल्लाह उर्फ जाफर को अमेरिका को सौंपा था। जाफर वही आतंकी है जो अगस्त 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती हमले में शामिल था, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिक और 160 आम नागरिक मारे गए थे।
उन्होंने यह भी कहा कि 2024 की शुरुआत से पाकिस्तान में करीब 1,000 आतंकी हमलों में 700 सुरक्षाकर्मियों और 2,500 नागरिकों की जान गई है।
इस बयान के बीच भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 7 मई को जवाबी कार्रवाई की थी। इसके बाद 8, 9 और 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय ठिकानों पर हमले की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति जताई, लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि आतंक के शिकार और आतंक फैलाने वालों को एक नजर से नहीं देखा जा सकता।
भारत ने यह भी नाराज़गी जताई है कि कई देश भारत-पाक को एक ही तराजू में तौलते हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत अलग है।
गौरतलब है कि अमेरिका में भारत से जुड़े सैन्य संबंध इंडो-पैसिफिक कमांड देखता है, जबकि पाकिस्तान और मध्य एशिया की निगरानी सेंट्रल कमांड के तहत होती है।
अमरीकी जनरल का बयान की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए।