वैश्विक संकट: इज़राइल-ईरान युद्ध, रूस-यूक्रेन संघर्ष और अमेरिका का ट्रेड वॉर जो दुनिया को तबाही की कगार पर ले आईं
✍️ आशिष सिन्हा
साल 2025 का मध्य आते-आते दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। एक तरफ पश्चिम एशिया में जंग के बादल गहराते जा रहे हैं, दूसरी ओर यूरोप की धरती पर गोलियों की आवाजें गूंज रही हैं, और तीसरे मोर्चे पर अमेरिका ने व्यापार युद्ध की आग फिर से भड़का दी है।
इन तीनों घटनाओं ने दुनिया के राजनैतिक, आर्थिक और सैन्य संतुलन को हिला कर रख दिया है। ये सिर्फ क्षेत्रीय झगड़े नहीं हैं — ये हैं वो ज्वालामुखी जो कभी भी फट सकते हैं।
1. ऑपरेशन राइजिंग लायन: इज़राइल-ईरान युद्ध
जून 2025 की शुरुआत में इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नाम से एक बड़ा हवाई हमला शुरू किया। इस अभियान में ईरान के परमाणु संयंत्रों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। नतांज, फोर्डो और अराक जैसे संवेदनशील केंद्रों पर बमबारी की गई, साथ ही आईआरजीसी के वरिष्ठ कमांडरों को भी टारगेट किया गया।
इसके जवाब में ईरान ने भीषण हमला किया — 150 से ज़्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें और 100 से ज्यादा ड्रोन इज़राइल पर दागे गए। कुछ मिसाइलें इज़राइल की मशहूर ‘आयरन डोम’ सुरक्षा प्रणाली को चकमा देकर तेल अवीव और हाइफ़ा जैसे शहरों में तबाही मचाने में सफल रहीं।
तेल की कीमतें अचानक आसमान छूने लगीं और पूरा मध्य एशिया युद्ध के मुहाने पर आ गया है। खतरा ये है कि ईरान अब अपना परमाणु कार्यक्रम और तेज कर सकता है।
2. कुरस्क गैंबिट: यूक्रेन का रूस पर हमला
अगस्त 2024 में यूक्रेन ने दुनिया को चौंकाते हुए रूस के कुरस्क इलाके में सीधी सैन्य घुसपैठ की। शुरुआत में यूक्रेनी सेना को सफलता मिली — रूसी डिपो, मिसाइल बेस और संचार केंद्रों को नुकसान पहुंचाया गया।
लेकिन कुछ ही महीनों में रूस ने पलटवार किया, और उत्तर कोरिया व ईरान से मिली नई हथियार तकनीकों की मदद से यूक्रेनी सेना को पीछे हटना पड़ा।
हालांकि यूक्रेन की रणनीति साफ है — रूस को अस्थिर करना और बातचीत की मेज तक लाना। वहीं पुतिन ने ‘रूसी भूमि की पूर्ण वापसी’ की बात कहते हुए और बड़ा सैन्य अभियान छेड़ने के संकेत दिए हैं।
इस युद्ध ने गेहूं और गैस की सप्लाई को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे एशिया और अफ्रीका में खाद्य संकट गहराने लगा है।
3. ट्रंप का ट्रेड वॉर : फिर से शुरू हुआ टैरिफ हमला
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर व्यापारिक मोर्चे पर हमला बोला है। चीन, मैक्सिको, कनाडा और कई देशों से आयात होने वाली चीज़ों पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगा दिए गए हैं — मकसद: अमेरिका की घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना। उन्होंने चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोप से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं — खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियों के पार्ट्स और धातुओं पर।
इस कदम से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इससे कीमतें बढ़ गई हैं, महंगाई में इजाफा हुआ है और अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों में नाराज़गी भी फैली है।
शुरुआत में अमेरिकी अर्थव्यवस्था मज़बूत दिखी — नौकरियाँ बढ़ीं, महंगाई काबू में रही। लेकिन धीरे-धीरे इसका असर सामने आने लगा। लकड़ी, गाड़ियाँ, मशीनें और घर के सामान महंगे होने लगे। अमेरिकी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में नुकसान होने लगा।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में अमेरिका की जीडीपी 1% तक गिर सकती है, आम लोगों की आमदनी घट सकती है और इसकी गूंज 2034 तक महसूस की जा सकती है।
अब चीन और अन्य देश भी जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को झटका लगा है, और IMF ने चेतावनी दी है कि अगर यह ट्रेड वॉर जारी रहा तो वैश्विक रिकवरी की प्रक्रिया 18 महीने तक और पीछे जा सकती है।
तीनों जंगों का मिला-जुला असर: एक साथ कई संकट
इन तीनों घटनाओं ने मिलकर दुनिया को एक नए संकट में धकेल दिया है:
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मध्य पूर्व की लड़ाई ने कच्चे तेल की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे दुनिया भर में महंगाई और ईंधन संकट गहराया।
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यूक्रेन-रूस युद्ध ने खाद्यान्न और गैस आपूर्ति पर असर डाला, जिससे कई देशों में जीवन-यापन कठिन हो गया।
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अमेरिका का व्यापार युद्ध वैश्विक बाजारों में अस्थिरता फैला रहा है और निवेशकों का भरोसा कमजोर कर रहा है।
तीनों मोर्चों पर आक्रामकता को ही हथियार बनाया जा रहा है — चाहे वो मिसाइल हो, सीमा पर हमला हो या आर्थिक प्रतिबंध।
निष्कर्ष: दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर
एक तरफ जंग, दूसरी तरफ व्यापार युद्ध, और तीसरी ओर भू-राजनैतिक चालबाज़ियाँ — ये तीनों मिलकर दुनिया को अस्थिरता, महंगाई और तनाव की ओर ले जा रही हैं।
दांव पर है अंतरराष्ट्रीय कानून, वैश्विक व्यापार व्यवस्था और करोड़ों लोगों का भविष्य।
अब सवाल ये है:
तीन अलग-अलग जंगें — एक सैन्य, एक सीमा पार, और एक आर्थिक — मिलकर एक बड़ी वैश्विक उथल-पुथल का कारण बन रही हैं।
- क्या इजरायल का हमला ईरान को रोक पाएगा या और भड़का देगा?
- क्या यूक्रेन की चाल रूस को बातचीत पर मजबूर करेगी या लड़ाई और बढ़ेगी?
- क्या ट्रंप की नीतियाँ अमेरिका को मज़बूत करेंगी या वैश्विक मंदी का कारण बनेंगी?
इन सवालों का जवाब भविष्य के पास है। लेकिन एक बात तय है — इस बार दुनिया को बचाने के लिए सिर्फ हथियार नहीं, कूटनीति, धैर्य और सहयोग की जरूरत है।
सटीक विश्लेषण।✍🏻