भगवान की कृपा के बिना भक्ति नहीं मिलती

बोकारो: चिन्मय विद्यालय, बोकारो के तपोवन सभागार में चल रहे मानस ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन की संध्या सभा को संबोधित करते हुए परम पूज्य स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती जी ने कहा कि ईश्वर की कृपा के बिना किसी को भक्ति नहीं मिलती। भक्ति कोई साधारण बात नहीं है, ये तभी मिलती है जब भगवान चाहें।

स्वामी जी ने श्रीराम और महर्षि वाल्मीकि के संवाद का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि जब प्रभु श्रीराम ने वाल्मीकि जी से पूछा कि हे त्रिकालदर्शी ऋषिवर, ऐसा कौन-सा स्थान है जहाँ हम रह सकें और जिससे वन में तप कर रहे मुनियों को कोई कष्ट न हो — तब महर्षि वाल्मीकि भावुक हो उठे। उन्होंने प्रभु के कोमल और विनम्र वचनों से द्रवित होकर कहा,

“प्रभु! आप तो स्वयं ब्रह्म हैं, अनंत हैं, आप कहाँ नहीं हैं?” फिर भी उन्होंने कहा कि आप वहाँ रहिए जहाँ लोगों के कान आपकी कथा सुनने के लिए तरसते हैं, आंखें आपके दर्शन के लिए चातक पक्षी की तरह प्रतीक्षा करती हैं और हृदय में केवल आपकी भक्ति की ज्योति जलती रहती है।

स्वामी जी ने कहा कि प्रभु राम निराकार, निरगुण और अव्यक्त हैं, लेकिन जब भक्तों के लिए वे सगुण रूप में अवतार लेते हैं, तो वही भक्ति का सार बन जाता है।

उन्होंने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उदाहरण देते हुए कहा, “जिस ऋषि ने मुझे पत्थर बनने का श्राप दिया, उसी के श्राप के कारण आज मुझे प्रभु श्रीराम का दर्शन हो रहा है।”

यानी जब तक भगवान की इच्छा न हो, तब तक जीव को भक्ति नहीं मिलती।

स्वामी जी ने आगे कहा कि वाल्मीकि जी ने प्रभु को बताया कि आप वहीं रहिए, जहाँ लोग दिन-रात आपकी कथा सुनने, आपके दर्शन करने और आपके गुणों को स्मरण करने की चाह रखते हैं। ऐसे स्थान ही भगवान के सच्चे निवास स्थान होते हैं।

प्रवचन में स्वामी जी ने बताया कि भगवान श्रीराम 14 स्थानों में निवास करते हैं, जिनका आध्यात्मिक महत्व है। आज की सभा में उन्होंने इनमें से चार स्थानों पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि शेष 10 स्थानों की व्याख्या अगले दो दिनों में की जाएगी। प्रवचन के अंत में भजन और नाम-संकीर्तन हुआ, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।

विशेष अतिथि के रूप में बोकारो के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अनिल कुमार मिश्रा उपस्थित थे। स्वामी जी ने उन्हें स्मृति-चिह्न भेंट किया।

इस अवसर पर चिन्मय मिशन बोकारो की आचार्या स्वामिनी संयुक्तानंदा सरस्वती, विद्यालय अध्यक्ष बिश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष आर. एन. मलिक, प्राचार्य सूरज शर्मा, उप-प्राचार्य नरमेन्द्र कुमार, प्रधानाध्यापक गोपाल चंद्र मुंशी, शिक्षकगण, छात्र, अभिभावक और पूर्व छात्र उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन सुप्रिया चौधरी और शिक्षिका सोनाली गुप्ता ने किया। विद्यालय के संगीत विभाग द्वारा प्रस्तुत भजनों और श्लोकों से पूरा परिसर भक्तिरस में सराबोर हो गया।

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