नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मंगलवार को हुई फोन पर बातचीत में साफ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान या बाद में अमेरिका से न तो कोई व्यापार समझौता हुआ और न ही भारत-पाक मुद्दे पर किसी तरह की मध्यस्थता की बात हुई।
यह बातचीत G7 सम्मेलन के बाद हुई, जब पीएम मोदी क्रोएशिया रवाना हो रहे थे।
ट्रंप ने उन्हें अमेरिका में रुकने का न्योता दिया था, जिसे मोदी ने ठुकरा दिया क्योंकि वह पहले से तय कार्यक्रम के तहत 18 जून को क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा पर जा रहे हैं। मोदी वहां जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को जो समझौता हुआ, वह दोनों सेनाओं के बीच मौजूद चैनल के जरिए हुआ और पाकिस्तान की ओर से अनुरोध के बाद ही सैन्य कार्रवाई रोकी गई।
ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक मंचों से दावा किया था कि उन्होंने “ट्रेड” यानी व्यापार की मदद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराया, और उन्होंने इसका श्रेय भी लिया। भारत में इस पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था, जिसे विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया।
मोदी ने ट्रंप को यह भी बताया कि उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सिर्फ अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से बात की थी, जिन्होंने उन्हें पाकिस्तान की संभावित जवाबी कार्रवाई को लेकर चेतावनी दी थी। मोदी और ट्रंप की यह पहली बातचीत ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई, जो भारत द्वारा 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (22 अप्रैल) के जवाब में शुरू किया गया था।
दिलचस्प बात ये रही कि जिस दिन ट्रंप ने मोदी को अमेरिका बुलाया था, उसी दिन ट्रंप की पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात तय है। अगर मोदी ट्रंप का न्योता स्वीकार कर लेते, तो दोनों नेताओं की उसी दिन मुलाकात होती, जब ट्रंप पाकिस्तानी सेना प्रमुख से भी मिलते।
इस बातचीत के जरिए भारत ने एक बार फिर अपनी स्थायी नीति दोहराई कि भारत-पाक मसले द्विपक्षीय हैं और भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता।
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