अरुण पाठक
बोकारो: संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, प्रदर्शन कला के क्षेत्र में भारत का सर्वाेच्च सम्मान है। यह पुरस्कार संगीत, नृत्य, और नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। संगीत नाटक अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2024 और 2025 के लिए प्रदर्शनकारी कला क्षेत्रों के उत्कृष्ट कलाकारों से 14 जुलाई तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। संगीत नाटक अकादेमी ने अपने स्थापना काल से लेकर अब तक पहली बार अकादमी सम्मान के लिए नामित करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव और सुधार किया गया है। इसके लिए एकेडमी की अध्यक्ष और सचिव सहित महासभा का आभार किया जाना चाहिए। अकादमी सम्मान के लिए कलाकार अब स्वयं अपने को नामित कर सकते हैं।
नामित करने की प्रक्रिया में बदलाव से लोक कलाकारों सहित हाशिए पर रह रहे कलाकारों को विशेष अवसर प्राप्त होगा। संगीत नाटक अकादमी सम्मान को और लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाया है, अकादमी ने। कला जगत में अकादमी के और महासभा के निर्णय का स्वागत किया है। सभी लोग अपने को नामित कर सकते हैं। फिर चयन की विशेष प्रक्रिया से चयन होगा। इससे कलाकारों के बड़े वर्ग को फायदा होगा। उल्लेखनीय है कि महासभा एक बड़ी समिति है, जो निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है। अकादमी सभी तक पहुंचने का एक व्रत लेकर कार्य कर रही है ताकि कोई भी छूटे नहीं। अपने कार्यक्रमों के माध्यम से, शोध और अनुसंधान तथा वैचारिक गोष्ठियों सहित अब चयन की प्रक्रिया में अकादमी ने इतिहास रचा है।
प्रदर्शन कला के क्षेत्र में सर्वाेच्च संस्था, संगीत नाटक अकादमी की स्थापना 1953 में संगीत, नृत्य और नाटक के माध्यम से अभिव्यक्त भारत की विविध संस्कृति की विशाल अमूर्त विरासत के संरक्षण और संवर्धन हेतु की गई थी। अकादमी का प्रबंधन इसकी सामान्य परिषद के अधीन है। अकादमी के अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा पाँच वर्षों के कार्यकाल के लिए की जाती है। अकादमी के कार्य अकादमी के संस्था ज्ञापन में निर्धारित हैं, जिसे 11 सितंबर 1961 को एक सोसायटी के रूप में इसके पंजीकरण के समय अपनाया गया था। अकादमी का पंजीकृत कार्यालय रवींद्र भवन, 35 फिरोज शाह रोड, नई दिल्ली में है। संगीत नाटक अकादमी, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का एक स्वायत्त निकाय है।
संगीत नाटक अकादमी की अब तीन घटक इकाइयाँ हैं, जिनमें से दो नृत्य-शिक्षण संस्थान हैं-इम्फाल स्थित जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी (जेएनएमडीए) और दिल्ली स्थित कथक केंद्र। जेएनएमडीए की उत्पत्ति भारत सरकार द्वारा अप्रैल 1954 में स्थापित मणिपुर नृत्य महाविद्यालय से हुई है। अपनी स्थापना के समय से ही अकादमी द्वारा वित्तपोषित, यह 1957 में अकादमी की एक घटक इकाई बन गया। इसी प्रकार, कथक केंद्र, कथक नृत्य के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से एक है। दिल्ली में स्थित, यह कथक नृत्य, गायन और पखावज में विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
घटक इकाइयों के अलावा, अकादमी के वर्तमान में पाँच केंद्र हैं-
1. केरल के प्राचीन संस्कृत रंगमंच, कुटियाट्टम के संरक्षण और संवर्धन हेतु कुटियाट्टम केंद्र, तिरुवनंतपुरम।
2. असम की सत्तिया परंपराओं के संवर्धन हेतु सत्तिरया केंद्र, गुवाहाटी।
3. पूर्वाेत्तर भारत की पारंपरिक और लोक प्रदर्शन कला परंपराओं के संरक्षण हेतु पूर्वाेत्तर केंद्र, गुवाहाटी।
4. पूर्वाेत्तर में उत्सवों और क्षेत्रीय प्रलेखन हेतु पूर्वाेत्तर प्रलेखन केंद्र, अगरतला।
5. पूर्वी भारत के छऊ नृत्यों को बढ़ावा देने के लिए छऊ केंद्र, चंदनकियारी
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, कार्यरत कलाकारों को प्रदान किया जाने वाला सर्वाेच्च राष्ट्रीय सम्मान है। अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों को फेलोशिप भी प्रदान करती है; और 2006 में युवा कलाकारों के लिए वार्षिक पुरस्कार-उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार-की शुरुआत की। अकादमी का संग्रह, जिसमें ऑडियो और वीडियो टेप, तस्वीरें और फ़िल्में शामिल हैं, देश के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है और प्रदर्शन कलाओं में शोध के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।