केरल में फंसा ब्रिटिश फाइटर जेट F-35B आखिरकार 39 दिन बाद भरा उड़ान

तिरुवनंतपुरम :  करीब 39 दिनों तक केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खड़ा रहने के बाद, ब्रिटिश रॉयल नेवी का अत्याधुनिक F-35B स्टेल्थ फाइटर जेट सोमवार सुबह आखिरकार उड़ान भर गया। इस विमान की आपात लैंडिंग ने न केवल रक्षा हलकों में, बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियाँ बटोरीं।

यह हाईटेक फाइटर जेट 14 जून को अरब सागर में गश्त के दौरान तकनीकी खराबी और खराब मौसम के चलते HMS Prince of Wales एयरक्राफ्ट कैरियर पर वापस नहीं लौट सका और मजबूरन तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करनी पड़ी। उस समय विमान के हाइड्रॉलिक सिस्टम और ऑक्सिलियरी पावर यूनिट (APU) में दिक्कत आ गई थी।

इसके बाद, विमान को पूरी सुरक्षा के बीच एयरपोर्ट पर खड़ा कर दिया गया। भारतीय एजेंसियों ने सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी, ताकि इस स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस विमान की संवेदनशील जानकारी सुरक्षित रहे।

कैसे हुई मरम्मत?

यूके से इंजीनियरों और लॉकहीड मार्टिन के विशेषज्ञों की एक टीम 6 जुलाई को केरल पहुंची। ये लोग विशेष उपकरण और स्पेयर पार्ट्स लाए। विमान को एक सुरक्षित हैंगर में शिफ्ट किया गया, जहां पूरी जांच और मरम्मत की गई। खासकर हाइड्रॉलिक सिस्टम की समस्या को ठीक किया गया। करीब दो हफ्ते की मेहनत के बाद 21 जुलाई को विमान को उड़ान के लिए सुरक्षित घोषित किया गया।

पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि अगर मरम्मत संभव नहीं हुई, तो इस फाइटर जेट को अलग-अलग हिस्सों में काटकर C-17 कार्गो विमान से वापस ले जाना पड़ेगा। लेकिन तकनीकी टीम ने इसे एयरपोर्ट पर ही ठीक कर दिया।

सोशल मीडिया पर बना स्टार

इस विमान की मौजूदगी केरल में लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गई। सोशल मीडिया पर इसे लेकर ढेरों मीम्स, कार्टून और जोक्स वायरल हुए। यहां तक कि केरल टूरिज़्म ने भी एक मजेदार पोस्ट किया, जिसमें जेट को नारियल के पेड़ों के नीचे आराम करते हुए दिखाया गया था और लिखा गया था, “केरल इतना शानदार है, मैं जाना नहीं चाहता!”

खर्च भी हुआ भारी

करीब 5 हफ्तों तक एयरपोर्ट पर खड़े रहने के चलते इस जेट पर करीब ₹9 लाख से अधिक का पार्किंग और हैंडलिंग शुल्क आया।

अब कहां गया विमान?

22 जुलाई की सुबह, मरम्मत के बाद यह विमान उड़ान भर गया और माना जा रहा है कि यह अपने कैरियर ग्रुप से फिर से जुड़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया के डार्विन की ओर रवाना हुआ है।

ब्रिटिश और भारतीय अधिकारियों ने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक-दूसरे के सहयोग की सराहना की है। यह घटना दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और तकनीकी तालमेल का उदाहरण बन गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *