चाय पर “मरे हुए” वोटर – बिहार से सीधे राहुल गांधी के घर तक

“मरे हुए” आए दिल्ली, राहुल के साथ पी चाय!

बिहार से 1,000 किमी का सफर, EC-कचहरी छोड़, सीधा राहुल के ड्रॉइंग रूम में

सोचिए, चुनाव आयोग की लिस्ट में आप “मर” चुके हैं, लेकिन अगले ही हफ़्ते आपकी तस्वीर दिल्ली में राहुल गांधी के साथ चाय पीते हुए अख़बार में छप जाए!

यही हुआ बिहार के राघोपुर के सात वोटरों के साथ। EC ने इन्हें मृत घोषित कर दिया, पर इन्होंने न EC का दरवाज़ा खटखटाया, न अदालत का। सीधा बैग उठाया और पहुंच गए दिल्ली, राहुल के ड्रॉइंग रूम में, जहां चाय–बिस्किट के साथ मुस्कुराते हुए फोटो सेशन भी हो गया।

राहुल ने तंज कसा –

“पहली बार मरे हुए लोगों के साथ चाय पीने का मौक़ा मिला… शुक्रिया चुनाव आयोग।”

अब सवाल गरम हैं: किसने कराई इनकी यात्रा? EC क्यों नहीं गए? राहुल तक इतनी आसानी से कैसे पहुंचे?

बीजेपी कह रही है — “ये सब सियासी नाटक है।” कांग्रेस कह रही है — “ये सबूत है बड़े पैमाने पर वोट चोरी का।”

सच जो भी हो, इस बार बिहार से दिल्ली तक मरे हुए भी ज़िंदा खबर बन गए — वो भी सिर्फ एक कप चाय के दम पर।

नई दिल्ली:  ये किसी राजनीतिक व्यंग्य की स्क्रिप्ट लग सकती है, लेकिन ये सच में हुआ। बिहार की वोटर लिस्ट में मृत घोषित सात लोग ज़िंदा होकर सीधे दिल्ली आ पहुंचे — और पहुंचते ही राहुल गांधी के ड्रॉइंग रूम में चाय की चुस्कियां लेने लगे।

गजब ये कि इन सातों ने न तो चुनाव आयोग के पास कोई दावा किया, न कोर्ट गए, न ही अपने गांव में कोई प्रदर्शन। सीधे राघोपुर (बिहार) से बैग उठाया और लुटियंस दिल्ली में राहुल गांधी के घर दस्तक दे दी।

कागज़ पर मरे, दिल्ली में ज़िंदा

बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न प्रक्रिया में इन सातों को मृत घोषित कर दिया गया था। लेकिन दिल्ली में ये सबके सामने बैठे चाय पीते रहे। राहुल गांधी ने भी मज़ाकिया लहज़े में X पर लिखा –

“ज़िंदगी में बहुत तजुर्बे हुए, लेकिन ‘मरे हुए लोगों’ के साथ चाय पीने का मौक़ा पहली बार मिला। शुक्रिया चुनाव आयोग!”

राजनीतिक तूफ़ान

बीजेपी ने इसे सीधा-सीधा राजनीतिक ड्रामा बताया — सवाल उठाया कि अगर वाकई गलती हुई तो ये लोग सीधा EC के पास क्यों नहीं गए, और बिना किसी रोकटोक के राहुल से कैसे मिल गए?
कांग्रेस का कहना है कि यह घटना चुनाव आयोग की बड़ी ग़लतियों और विपक्षी इलाकों में मतदाताओं को वोट से वंचित करने की साज़िश का सबूत है।

असली सवाल

  • चुनाव आयोग के दफ़्तर जाने के बजाय दिल्ली क्यों?

  • किसने कराई इतनी लंबी यात्रा?

  • राहुल गांधी तक इतनी आसान पहुंच कैसे?

  • क्या ये असली शिकायत थी या सियासी सेटिंग?

बिहार की वोटर लिस्ट में इस बार 65 लाख नाम हटाए गए, जिसमें 18 लाख को ‘मृत’ घोषित किया गया। इस “चाय विद द डेड” वाकये ने विवाद को और गरमा दिया है।

सच क्या है: चुनावी सूचियों में गड़बड़ियों की पुख्ता रिपोर्टें हैं — कुछ लोग वाकई मृत, तो कुछ को ग़लती से हटा दिया गया।

नाटक क्या है: राहुल गांधी का प्रतीकात्मक कदम इस विवाद को और तेज़ कर गया — यह एक तरफ़ असली शिकायत है, तो दूसरी तरफ़ एक दमदार राजनीतिक संदेश भी।

असर: इस विवाद ने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर ऐसी ग़लतियां नहीं रोकी गईं, तो मतदाता सूची पर जनता का भरोसा डगमगा सकता है।

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