US को जल्द ही भारत पर लगाए गए टैरिफ का असर महसूस होगा…

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US झेल सकता है ट्रंप के भारत टैरिफ का असर: महंगाई, सप्लाई चेन और कीमतों में बढ़ोतरी का खतरा

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ का असर अब अमेरिका में दिखाई देने लगा है। 2024 में अमेरिका ने भारत से 85 बिलियन डॉलर से अधिक का माल आयात किया। साथ ही, अमेरिका की दो-तिहाई बड़ी कंपनियां भारत में सक्रिय हैं। भारतीय निर्यातकों पर असर सीधे तौर पर पड़ रहा है, लेकिन अमेरिकी उपभोक्ता और कंपनियां भी इससे अछूती नहीं रहेंगी।

उपभोक्ताओं की जेब पर असर
सबसे पहले आम लोगों को महंगाई का असर महसूस होगा। अमेरिकी कंपनियां बढ़े हुए आयात शुल्क को ग्राहकों पर डाल देंगी, जिससे भारतीय वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। खासकर वस्त्र, रत्न, समुद्री खाद्य, चमड़े के जूते और हस्तशिल्प के दाम बढ़ सकते हैं। येल विश्वविद्यालय की जुलाई रिपोर्ट बताती है कि भारत और दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर टैरिफ से अमेरिकी घरों की औसत आय लगभग 2,400 डॉलर तक घट सकती है।

महंगाई बढ़ने की संभावना
विशेषज्ञों ने चेताया है कि नए टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिपोर्ट के अनुसार, इससे अमेरिकी GDP विकास 40–50 बेसिस पॉइंट तक प्रभावित हो सकता है। बढ़ते उत्पादन लागत और मुद्रा उतार-चढ़ाव के कारण 2026 तक मुद्रास्फीति 2% के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है। अगर टैरिफ $45 बिलियन के सभी भारतीय शिपमेंट्स पर लागू होता है, तो भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा में बदल सकता है।

सप्लाई चेन पर दबाव
भारत फार्मा, केमिकल और IT सेवाओं में अहम है। भारी टैरिफ इन जरूरी सामानों की आपूर्ति धीमी कर सकते हैं, लागत बढ़ा सकते हैं और अमेरिकी उत्पादन पर असर डाल सकते हैं। अन्य देशों से स्रोत बदलना आसान नहीं है, जिससे लंबे समय तक सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।

सी फूड (Sea Food) और वस्त्र उद्योग पर असर
भारतीय समुद्री उत्पाद और वस्त्र अमेरिकी आयात में महत्वपूर्ण हैं। आंध्र प्रदेश के श्रिम्प किसान पहले ही दबाव महसूस कर रहे हैं। अमेरिकी कंपनियां अन्य देशों से माल लाने की कोशिश करेंगी, लेकिन वहां उत्पादन क्षमता सीमित होने के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं।

फार्मा और IT सेक्टर को खतरा
भारत अमेरिका में आयातित दवाओं का 36% हिस्सा देता है। टैरिफ बढ़ने पर दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे बीमा और स्वास्थ्य बजट पर दबाव बढ़ेगा। IT और बैक-ऑफिस सेवाओं की लागत भी बढ़ सकती है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को असर होगा।

प्रतिशोध और भू-राजनीतिक बदलाव
भारत ने तत्काल प्रतिशोध से बचते हुए WTO को अधिकार की सूचना दी है। ऑटो और पार्ट्स पर 725 मिलियन डॉलर तक के प्रतिशोधी टैरिफ की योजना है। भारत रूस, चीन और ब्राजील के साथ संबंध मजबूत कर रहा है, जो अमेरिका की विदेश नीति के लिए चुनौती हो सकता है।

टैरिफ से यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप का कदम सिर्फ भारत पर असर नहीं डालता, बल्कि अमेरिकी घरों, कंपनियों और सप्लाई चेन पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।

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