News Desk: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% आयात शुल्क लगाकर व्यापारिक रिश्तों में ज़बरदस्त झटका दिया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मशहूर निवेश बैंक जेफ़रीज़ का कहना है कि यह कदम किसी आर्थिक नीति का नतीजा नहीं, बल्कि ट्रंप के “निजी अहंकार” से जुड़ा है।
पाकिस्तान मध्यस्थता में नाकामी, फिर आर्थिक बदला
ट्रंप लंबे समय से दावा करते रहे हैं कि वे भारत–पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद सुलझा सकते हैं और इसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी मिलना चाहिए। लेकिन भारत ने साफ़ कहा कि कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े सभी मुद्दे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझेंगे। किसी तीसरे पक्ष की भूमिका भारत को मंज़ूर नहीं।
यही बात ट्रंप को खल गई। जेफ़रीज़ की रिपोर्ट कहती है कि मध्यस्थता की भूमिका न मिलने से नाराज़ होकर ट्रंप ने भारत पर यह भारी-भरकम टैरिफ़ थोप दिया।
भारत पर सीधा वार
ट्रंप प्रशासन ने ड्यूटी को 25% से बढ़ाकर सीधे 50% कर दिया। इसका सबसे ज़्यादा असर टेक्सटाइल, जेम्स–ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स और लेदर गुड्स जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा। जेफ़रीज़ के रणनीतिकार क्रिस वुड के मुताबिक, इस फ़ैसले से भारत को करीब 55–60 अरब डॉलर का झटका लग सकता है।
भारत का सख़्त जवाब
भारत सरकार ने इस फैसले को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य” करार दिया है। अधिकारियों का कहना है कि भले ही आर्थिक नुकसान बड़ा हो, लेकिन देश अपनी संप्रभुता और आत्मसम्मान पर कोई समझौता नहीं करेगा।
वैश्विक समीकरणों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम केवल भारत-अमेरिका रिश्तों को ही नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन को भी प्रभावित करेगा। भारत अगर अमेरिका से दूर होता है, तो उसकी झुकाव BRICS और एशियाई गठबंधनों की ओर और मज़बूत हो सकता है।
नतीजा – अहंकार बनाम अर्थव्यवस्था
स्पष्ट है कि ट्रंप का यह टैरिफ़ वार किसी रणनीतिक सोच से ज़्यादा अहंकार और बदले की राजनीति का परिणाम है। लेकिन इसका खामियाज़ा दोनों देशों के रिश्तों और अरबों डॉलर के व्यापार पर पड़ेगा।