SCO Summit: मोदी–पुतिन के बीच शहबाज़ शरीफ़ हुए साइडलाइन

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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ के लिए माहौल आसान नहीं रहा। एक छोटा-सा वीडियो क्लिप, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बातचीत करते हुए शरीफ़ के पास से निकल जाते हैं और वह एक कोने में खड़े नज़र आते हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस दृश्य ने पाकिस्तान में यह धारणा मजबूत कर दी कि शरीफ़ को अंतरराष्ट्रीय मंच पर “साइडलाइन” कर दिया गया।

हालाँकि तस्वीरें और वीडियो ने सुर्खियाँ बटोरीं, शरीफ़ की मुलाक़ातें भी कम अहम नहीं रहीं। उन्होंने बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात की। इस दौरान शी ने दो टूक संदेश दिया कि पाकिस्तान को चीनी नागरिकों और चीन–पाक आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़े प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा पुख़्ता करनी होगी। चीन के इस सख़्त रुख़ की वजह पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों पर बार-बार हुए आतंकी हमले हैं।

शरीफ़ ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन से भी मुलाक़ात की और आपसी व्यापार व कनेक्टिविटी को मज़बूत करने पर सहमति जताई। लेकिन इन मुलाक़ातों की गूंज उतनी ज़्यादा नहीं रही जितनी उस वायरल वीडियो की, जिसने पाकिस्तान की छवि को झटका दिया।

सम्मेलन हॉल में प्रधानमंत्री मोदी ने भी परोक्ष रूप से पाकिस्तान को घेरते हुए कहा कि कुछ देश आतंकवाद पर “दोहरी नीति” अपनाते हैं। एससीओ का संयुक्त बयान भी हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करता है और “आतंक के समर्थकों को जवाबदेह ठहराने” की मांग करता है। यह पाकिस्तान के लिए कड़ा संदेश माना जा रहा है।

अपने संबोधन में शरीफ़ ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का ज़िक्र किया और समझौतों के पालन व संवाद की आवश्यकता पर ज़ोर दिया—जो अप्रत्यक्ष तौर पर भारत की ओर इशारा था। दिलचस्प यह रहा कि शी जिनपिंग के साथ हुई बैठक में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी मौजूद थे। इसे पाकिस्तानी सेना की विदेश नीति में गहरी भूमिका का प्रतीक माना गया।

  • दृश्य ने झटका दिया: मोदी–पुतिन के बीच से शरीफ़ का छूट जाना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया।

  • कूटनीति हुई लेकिन दबाव के साथ: चीन ने सुरक्षा पर सख़्त सवाल उठाए और ईरान से सहयोग की बातें हुईं।

  • कठिन संदेश: भारत और एससीओ दोनों ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया।

यानी तियानजिन समिट ने पाकिस्तान के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं दी, बल्कि वायरल वीडियो और कठोर संदेशों ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दीं।

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