चीन से अकेले नहीं निपट सकता अमेरिका, साथ भारत ज़रूरी: मैरी किस्सल

चीन से अकेले नहीं निपट सकता अमेरिका
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ट्रंप की भारत-विरोधी नीतियों से बिगड़े हालात, मोदी-शी-पुतिन की नज़दीकियों पर अमेरिका में हलचल

 

वॉशिंगटन: अमेरिका की पूर्व वरिष्ठ राजनयिक और चीन मामलों की विशेषज्ञ मैरी किस्सल ने साफ़ चेतावनी दी है कि इंडो-पैसिफ़िक में चीन को रोकने के लिए भारत का साथ अनिवार्य है।

किस्सल, जो 2018 से 2021 तक अमेरिकी विदेश मंत्री की वरिष्ठ सलाहकार रही हैं, ने फॉक्स न्यूज़ से बातचीत में कहा— “अगर हम सच में मानते हैं कि कम्युनिस्ट चीन अमेरिका और हमारी जीवन-शैली के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है, तो हमें भारत चाहिए। एशिया-प्रशांत में हम अकेले उनसे नहीं लड़ सकते।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत-विरोधी नीतियों ने दोनों देशों के रिश्तों को सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुँचा दिया है। ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ़ लगाया, कश्मीर मामले में दखल दी, ऑपरेशन ‘सिंदूर’ पर सवाल उठाए और पाकिस्तान से नज़दीकी बढ़ाई — जिससे वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच गहरी दरार दिखाई दे रही है।

इसी बीच, तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन के बीच गर्मजोशी भरी बातचीत की तस्वीरें चर्चा में रहीं। पश्चिमी मीडिया का कहना है कि ट्रंप की नीतियाँ भारत को चीन-रूस खेमे की ओर धकेल रही हैं और अमेरिका से दूर कर रही हैं।

किस्सल ने भी SCO शिखर सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा, “हमें सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया और जापान ही नहीं, बल्कि भारत की ताक़त भी चाहिए। यही बैठक ट्रंप प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती दिखा रही है।”

दो दिन चले इस सम्मेलन में शी जिनपिंग और पुतिन के अलावा मोदी, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन भी शामिल हुए। इसे अब तक का सबसे बड़ा SCO सम्मेलन बताया गया, जिसे पश्चिमी जगत G7 और NATO का विकल्प मान रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की सख़्त नीतियाँ दशकों से बनी भारत-अमेरिका की नज़दीकी को ख़तरे में डाल रही हैं। और अगर हालात ऐसे ही रहे, तो भारत का झुकाव बीजिंग और मॉस्को की ओर और तेज़ हो सकता है।

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