विदेशी पैसों से रची गई पहलगाम हमले की साज़िश, पाकिस्तान और मलेशिया से आया पैसा
नई दिल्ली: अप्रैल में हुए पहलगाम (Pahalgam) आतंकी हमले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों ने पाया है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशों से फंडिंग मिल रही थी। इसी पैसों से हमले की साज़िश रची गई, जिसमें 26 सैलानियों की जान चली गई थी।
जांच में सामने आया है कि पैसे सिर्फ पाकिस्तान से ही नहीं आए, बल्कि मलेशिया और खाड़ी देशों के रास्तों से भी TRF तक पहुँचाए गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने डिजिटल और वित्तीय सबूत जुटाए हैं, जिनसे साफ हुआ है कि इन्हीं पैसों से आतंकी भर्ती, हथियारों की सप्लाई और नेटवर्क को ज़िंदा रखा गया।
भारतीय खुफिया एजेंसियां पहले से कहती रही हैं कि TRF दरअसल लश्कर-ए-तैयबा का ही नया चेहरा है, जिसे पाकिस्तान ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए खड़ा किया है। पहलगाम हमला इस दावे को और पुख़्ता करता है, जिसे भारत ने “पाकिस्तान से रची गई सीमा-पार आतंकी साज़िश” बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, एजेंसियों ने एन्क्रिप्टेड चैट और संदिग्ध लेन-देन के सुराग कई देशों तक ट्रेस किए हैं। हालांकि किसी शख्स का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए कुछ देशों को औपचारिक अनुरोध भेज दिए हैं।
यह खुलासा उस वक्त हुआ है जब अमेरिका ने जुलाई में TRF को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया था। भारत ने इसे बड़ी कूटनीतिक जीत माना। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने भी अपने घोषणा पत्र में पहलगाम हमले की निंदा की और कहा कि आतंक के मददगारों को सज़ा मिलनी चाहिए।
इधर, सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर TRF के स्लीपर सेल तोड़ने और फंडिंग के नेटवर्क को रोकने की मुहिम तेज़ कर दी है। हवाला और सीमा पार संचार चैनलों पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है।
इस हमले का सबसे गहरा असर कश्मीर की पर्यटन इंडस्ट्री पर पड़ा है। भारी संख्या में टूरिस्ट अपनी बुकिंग रद्द कर चुके हैं और स्थानीय कारोबार को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। स्थानीय नेता सरकार से अपील कर रहे हैं कि सुरक्षा इंतज़ाम मज़बूत कर पर्यटकों का भरोसा दोबारा बहाल किया जाए।
अधिकारियों का कहना है कि अब असली लड़ाई “पैसे की सप्लाई” को रोकने की है। फंडिंग के पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कसकर ही न सिर्फ पहलगाम हमले के गुनहगारों तक पहुंचा जा सकेगा बल्कि आतंकवाद की जड़ें भी कमजोर होंगी।