अंतरिक्ष में भारत की तैयारी: LiDAR तकनीक से अंतरिक्ष में निगरानी और सुरक्षा

अंतरिक्ष में भारत की तैयारी: LiDAR तकनीक से अंतरिक्ष में निगरानी और सुरक्षा
66 / 100 SEO Score

Rs 27,000 करोड़ का प्रोजेक्ट: भारत के 50 नई निगरानी सैटेलाइट्स

JNS: भारत अपने सैटेलाइट्स की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है। इसका कारण पिछले साल की एक घटना है, जब भारत के ISRO के सैटेलाइट के पास एक पड़ोसी देश का सैटेलाइट सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी पर आया। यह घटना भारत की अंतरिक्ष संपत्तियों के लिए बढ़ते खतरों की चेतावनी है।

सूत्रों के अनुसार, यह पासिंग जानबूझकर हो सकती है, शायद दूसरे देश की ताकत दिखाने के लिए। भारतीय सैटेलाइट 500–600 किलोमीटर की ऊँचाई पर काम कर रहा था और यह मैपिंग और ग्राउंड ऑब्जेक्ट मॉनिटरिंग जैसी सैन्य उपयोग वाली गतिविधियों में लगा हुआ था।

‘बॉडीगार्ड सैटेलाइट’ योजना

भारत सरकार अब “बॉडीगार्ड सैटेलाइट्स” विकसित करने पर काम कर रही है, जो संभावित खतरों का पता लगाकर उन्हें रोक सकें। इस Rs 27,000 करोड़ ($3 बिलियन) की योजना के तहत लगभग 50 निगरानी सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाने हैं, पहला सैटेलाइट अगले साल आने की संभावना है।

अधिकारियों का लक्ष्य स्टार्टअप्स के साथ मिलकर LiDAR तकनीक का उपयोग करना है, जिससे खतरे जल्दी पकड़े जा सकें और सैटेलाइट समय रहते मैन्यूरव कर सके। इन सैटेलाइट्स को जमीन पर लगे राडार और टेलिस्कोप के साथ जोड़कर एक मजबूत सुरक्षा नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

क्यों बढ़ी अंतरिक्ष सुरक्षा की जरूरत?

अंतरिक्ष में सैन्य गतिविधियों के बढ़ते खतरे, रूस-यूक्रेन युद्ध में सैटेलाइट कम्युनिकेशन की कमजोरियों और पाकिस्तान-चीन के बढ़ते सहयोग के कारण भारत सतर्क है।

भारत के पास 100 से अधिक सैटेलाइट्स हैं, जबकि पाकिस्तान के पास केवल 8 और चीन के पास 930 से ज्यादा सैटेलाइट्स हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि चीन की तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष तकनीक, विशेषकर सैन्य उपयोग वाली, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती बन रही है।

ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख

मई 2024 में पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान ISRO के 400 से अधिक वैज्ञानिक लगातार काम करते रहे, ताकि पृथ्वी अवलोकन और संचार सैटेलाइट्स सुचारू रूप से काम करें। रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट कवरेज समायोजित करने में मदद की, जो तीसरे पक्ष की भागीदारी के खतरे को दिखाता है।

हालाँकि, भारत के पास अभी सतत इन-ऑर्बिट ट्रैकिंग क्षमता नहीं है, लेकिन स्टार्टअप्स ऐसे समाधान विकसित कर रहे हैं जो वास्तविक समय में अंतरिक्ष की निगरानी कर सकें।

आगे की राह

“बॉडीगार्ड सैटेलाइट” योजना अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन यह दिखाती है कि भारत अंतरिक्ष को सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण क्षेत्र मानता है। इन निवेशों से भारत अपनी बढ़ती सैटेलाइट फ्लीट को सुरक्षित रखने और अंतरिक्ष में रणनीतिक बढ़त बनाए रखने की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *