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ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने बनाई महिला विंग, मसूद अज़हर की बहन सादिया बनी मुखिया
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‘जमात-उल-मोमिनात’ के नाम से शुरू हुआ नया संगठन, बहावलपुर में फिर से ठिकाने बनाने की कोशिश
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने अपनी पहली महिला विंग बना ली है, जिसका नाम रखा गया है ‘जमात-उल-मोमिनात’। इसकी अगुवाई खुद जैश के सरगना मौलाना मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर कर रही हैं। संगठन का यह कदम हाल के महीनों में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठाया गया है, जिसमें जैश के कई ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश का नया फंडरेज़िंग अभियान
अगस्त 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही हफ्तों बाद, रिपोर्टें सामने आईं कि जैश ने पाकिस्तान भर में खुले तौर पर चंदा जुटाने का अभियान शुरू कर दिया है। इसका मकसद बताया गया — बहावलपुर स्थित जैश मुख्यालय को फिर से बनाना और 313 नए मरकज़ (धार्मिक केंद्र) स्थापित करना।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जैश ने इसके लिए 3.91 अरब पाकिस्तानी रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
यह रकम कथित तौर पर डिजिटल वॉलेट्स और मोबाइल नंबरों के ज़रिए भेजी जा रही है, जो सीधे अज़हर परिवार से जुड़े हैं।
यह इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान में जैश पर लगाया गया प्रतिबंध सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।
इसी “पुनर्निर्माण अभियान” के साथ-साथ संगठन ने महिला विंग की शुरुआत की, जो बताता है कि जैश अब नई रणनीति और विचारधारा के ज़रिए खुद को बचाए रखने की कोशिश कर रहा है।
महिलाओं को ‘धार्मिक कार्य’ के नाम पर जोड़ने की योजना
जैश की नई महिला विंग का मकसद कमांडरों की पत्नियों और परिजनों को शामिल करना है, ताकि वे संगठन के लॉजिस्टिक्स, प्रचार और संपर्क कार्यों में सहयोग कर सकें।
हालांकि इसे “धार्मिक और सामाजिक संगठन” बताया जा रहा है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसे भर्ती और फंड जुटाने का नया जरिया मान रही हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —
“ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश अपनी जड़ों को फिर मज़बूत करना चाहता है। महिलाओं की भागीदारी उसकी नई रणनीति का हिस्सा है।”
भारतीय एजेंसियां सतर्क
भारत की खुफिया एजेंसियां अब जैश के इस नए नेटवर्क पर नज़र रख रही हैं। डिजिटल लेनदेन और महिलाओं की भागीदारी से यह संगठन पहले से ज़्यादा मुश्किल और छिपा हुआ रूप ले रहा है।
“महिलाएं, चैरिटी और डिजिटल फंडिंग — ये जैश की नई रणनीति के तीन हथियार हैं,” एक सुरक्षा विश्लेषक ने कहा।
क्या है ‘जमात-उल-मोमिनात’?
‘जमात-उल-मोमिनात’ का मतलब है “ईमान वाली महिलाओं का समूह”। संगठन इसे “धार्मिक शिक्षा और समाज सेवा” के नाम पर पेश कर रहा है, लेकिन इसके पीछे अज़हर परिवार की सीधी पकड़ और गुप्त फंडिंग नेटवर्क छिपा है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह विंग अब पंजाब, ख़ैबर पख्तूनख़्वा और कराची में सक्रिय है।
जैश का इतिहास और खतरनाक इरादा
साल 2000 में बने इस संगठन ने 2001 संसद हमला और 2019 पुलवामा हमला जैसे बड़े आतंकी वारदात अंजाम दिए।
संयुक्त राष्ट्र और भारत समेत कई देशों ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया है,
लेकिन पाकिस्तान में इसकी गतिविधियाँ अब भी जारी हैं।
नई रणनीति, पुराना एजेंडा
विशेषज्ञों का कहना है कि जैश की यह नई पहल —
डिजिटल फंडिंग, धार्मिक मुखौटा और महिला नेटवर्क —
उसकी नई रणनीतिक सोच और जीवित रहने की जद्दोजहद को दिखाती है।
यह संगठन अब आतंक की नई शक्ल में पुराने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।