बेंगलुरु: भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने एक ऐतिहासिक खोज की है। इसरो (ISRO) ने बताया कि उसके ऑर्बिटर ने पहली बार ये देखा है कि सूरज से निकले सोलर तूफान (Coronal Mass Ejections – CME) का असर चांद के पतले वातावरण पर कैसे पड़ता है।
चंद्रयान-2 ने दी दुनिया को नई जानकारी
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 के CHACE-2 (चंद्रा’स एटमॉस्फेरिक कम्पोज़िशनल एक्सप्लोरर-2) यंत्र ने यह अद्भुत घटना रिकॉर्ड की। यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से बड़ी है, बल्कि यह भविष्य के चंद्र अभियानों और मानव निवास योजनाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
India’s Chandrayaan-2 observes effects of the Coronal Mass Ejections from the Sun on the Moon. First-ever observations showed an increase in the total pressure of the dayside environment of the Moon.
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— ISRO (@isro) October 18, 2025
जब सूरज का तूफान टकराया चांद से
10 मई 2024 को एक बड़ा सोलर इवेंट हुआ, जब सूरज से निकले कई कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सीधे चांद से टकराए। इस दौरान चांद के वातावरण में अचानक दबाव और कणों की संख्या दस गुना तक बढ़ गई, जो अब तक केवल सिद्धांतों में कही जा रही थी।
इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, “चांद के पास पृथ्वी की तरह कोई मैग्नेटिक फील्ड नहीं है। इसलिए जब सूरज से सोलर स्टॉर्म टकराते हैं, तो उसका असर सीधे उसकी सतह और वातावरण पर दिखता है।”
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (#ISRO) ने एक ऐतिहासिक वैज्ञानिक सफलता के रूप में, घोषणा की है कि उसके चंद्रयान-2 ने अपने वैज्ञानिक उपकरण का उपयोग करके सूर्य से निकलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के चंद्रमा पर पड़ने वाले प्रभावों का पहली बार अवलोकन किया।@isro pic.twitter.com/jDPqZBq94E
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) October 19, 2025
विक्रम लैंडर खामोश, पर ऑर्बिटर आज भी सक्रिय
हालांकि 7 सितंबर 2019 को विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था, लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अब भी 100 किलोमीटर की कक्षा में सक्रिय है और लगातार चांद से वैज्ञानिक डेटा भेज रहा है।
रिसर्च पेपर ने बढ़ाया भारत का गौरव
इस खोज पर आधारित अध्ययन — “Impact of a Coronal Mass Ejection on the Lunar Exosphere as Observed by CHACE-2 on the Chandrayaan-2 Orbiter” — 16 अगस्त 2025 को Geophysical Research Letters नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ।
क्या है इसका महत्व
यह खोज बताती है कि सूरज की गतिविधियां न केवल धरती बल्कि चांद के वातावरण को भी बदल सकती हैं। भविष्य में जब इंसान चांद पर बसेगा या रिसर्च करेगा, तो ये जानकारी सुरक्षा और डिजाइन के लिए बहुत अहम होगी।