Bharat पर जैविक हमले (Ricin) की कोशिश नाकाम: पाकिस्तान-ISKP की ‘राइसिन टेरर’ साजिश बेनकाब

Bharat पर जैविक हमले (Ricin) की कोशिश नाकाम: पाकिस्तान-ISKP की ‘राइसिन टेरर’ साजिश बेनकाब
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नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले (Red Fort) के पास हुए धमाके की जांच ने अब आतंक की एक नई परत खोल दी है। जो धमाका पहले एक साधारण विस्फोट माना जा रहा था, वही अब एक पाकिस्तान-समर्थित जैविक (Ricin) आतंकी साजिश के रूप में सामने आया है। गुजरात एटीएस की जांच में पता चला है कि इस साजिश के पीछे हैदराबाद का एक डॉक्टर था, जो इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रांत (ISKP) के हैंडलर्स के संपर्क में था और “राइसिन (Ricin)” नामक घातक जहर का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा था।

डॉक्टर से आतंकी बना साजिशकर्ता

गुजरात एटीएस ने डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद (35) और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ये लोग दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद में राइसिन फैलाकर सैकड़ों लोगों की जान लेने की साजिश रच रहे थे।

छापेमारी में एटीएस को ग्लॉक और बेरेट्टा पिस्तौल, कैस्टर ऑयल, राइसिन तैयार करने वाले केमिकल्स, और एन्क्रिप्टेड दस्तावेज और चैट रिकॉर्ड बरामद हुए।
तीनों आरोपियों ने बाजारों, धार्मिक स्थलों और आरएसएस कार्यालयों की रेकी की थी ताकि भीड़भाड़ वाले स्थानों को निशाना बनाया जा सके।

राइसिन से मौत की साजिश

राइसिन एक बेहद खतरनाक बायोलॉजिकल टॉक्सिन है, जो कैस्टर बीन्स से बनाया जाता है।
सिर्फ कुछ मिलीग्राम राइसिन भी मौत के लिए काफी है। अगर इसे पानी या खाने में मिला दिया जाए, तो दर्जनों नहीं, हजारों लोगों की जान जा सकती थी

एटीएस अधिकारियों का कहना है कि डॉ. सैयद को पाकिस्तान में बैठे ISKP हैंडलर से टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर निर्देश मिलते थे।
हथियार और केमिकल्स ड्रोन के ज़रिए पाकिस्तान बॉर्डर से गिराए गए, जिन्हें गुजरात में इकट्ठा किया गया।

कश्मीर से गुजरात तक फैला नेटवर्क

गुजरात में हुई गिरफ्तारी अब कई मामलों से जुड़ रही है — जिनमें फरीदाबाद में मिले 2,900 किलो विस्फोटक और जम्मू-कश्मीर में पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल शामिल हैं।
यह साफ हो गया है कि यह नेटवर्क देशभर में सक्रिय था और कई राज्यों में अपने निशाने तय कर चुका था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“यह सिर्फ बम धमाके की साजिश नहीं थी, बल्कि भारत के खिलाफ एक जैविक युद्ध (Bio-terror) छेड़ने की कोशिश थी।”

देशभर में हाई अलर्ट, जांच तेज़

गुजरात एटीएस के साथ एनआईए, आईबी, और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल मिलकर जांच कर रही हैं।
देश के बड़े शहरों में धार्मिक स्थलों, बाजारों और सरकारी इमारतों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल बड़ा खतरा टल गया है, लेकिन अब भी कुछ आरोपी फरार हो सकते हैं या राइसिन जैसी जहरीली सामग्री कहीं छिपी हो सकती है। जांच जारी है।

राइसिन: मौत से भी खतरनाक जहर

राइसिन एक ऐसा जहर है जो न गंध छोड़ता है, न स्वाद — लेकिन कुछ माइक्रोग्राम भी मौत के लिए काफी होता है।
अगर इसे पानी या खाने में मिलाया जाए, तो मौत कुछ ही घंटों में हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकियों ने अब बम और गोली से आगे बढ़कर जैविक हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है — जो कहीं ज्यादा खतरनाक और अचूक हैं।

एक बड़ा हादसा टल गया

एजेंसियों का मानना है कि लाल किला धमाका असल में एक “ट्रायल रन” था — एक परीक्षण कि सुरक्षा व्यवस्था कितनी तेज़ी से प्रतिक्रिया देती है।
अगर गुजरात एटीएस की कार्रवाई समय पर न होती, तो भारत तीन बड़े शहरों में एक साथ जैविक हमला झेल सकता था।

एक खुफिया अधिकारी ने कहा —

“हमने एक बायो-टेरर हमले को रोक दिया है, लेकिन साजिश अभी खत्म नहीं हुई। असली चुनौती नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करना है।”

 

 

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