Code ‘D6’: 6 दिसंबर का छह-लोकेशन आतंकी प्लान नाकाम

I&B Ministry Issues Detailed Advisory to TV Channels on Sensitive Coverage of Red Fort Blast
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नई दिल्ली: लाल किले (Red fort) के पास हुई कार ब्लास्ट की जांच अब एक बड़े और हैरान करने वाले खुलासे की ओर बढ़ रही है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह धमाका असल में एक बहु-शहर, छह-लोकेशन वाले सीरियल ब्लास्ट प्लान का सिर्फ एक हिस्सा था। इस पूरे ऑपरेशन का इंटरनल कोड नाम था “D6” (Code D6) — जिसे जांच एजेंसियां 6 दिसंबर, यानी बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी से जोड़कर देख रही हैं।

अधिकारियों का मानना है कि लाल किले पर हुआ धमाका शायद अनजाने में पहले ही फट गया, जिससे एक बहुत बड़े आतंकी नेटवर्क की योजना बीच में ही टूट गई और देश के कई शहरों को एक बड़े हमले से बचा लिया गया।

जांच में सामने आए 6 बड़े टारगेट

पूछताछ, डिजिटल चैट और हाथ से बने नक्शों से पता चला है कि मॉड्यूल ने छह हाई-फुटफॉल और हाई-प्रोफाइल जगहों को निशाना बनाया था:

  1. लाल किला, दिल्ली – पहला धमाका यहीं हुआ

  2. इंडिया गेट, दिल्ली

  3. न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन

  4. चांदनी चौक / जामा मस्जिद इलाका

  5. उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख मंदिर परिसर (नाम गोपनीय)

  6. हरियाणा का एक मार्केट एरिया (संभवत: गुरुग्राम या फरीदाबाद)

जांच टीमें कह रही हैं कि बरामद हार्ड ड्राइव और एन्क्रिप्टेड ऐप्स से और लोकेशन भी सामने आ सकती हैं।

‘D6’ कोड ने खोला बड़ा राज़

जब्त डिजिटल रिकॉर्ड्स में “D6” नाम से एक पूरा ब्लूप्रिंट मिला है, जिसमें चार शहरों की छह लोकेशन पर हमले की योजना थी।
लाल किले के पास फटी सफेद i20 ऐसी कई कारों में सिर्फ एक थी।

जांच में जिन अन्य गाड़ियों का लिंक मिला है:

  • Ford EcoSport

  • Maruti Brezza

  • Maruti Swift Dzire

इन सभी को भारी विस्फोटक ले जाने के लिए तैयार किया जा रहा था।

अधिकारियों को शक है कि लाल किले वाला ब्लास्ट या तो गलती से पहले ही फट गया, या फिर यह हमलों की पहली कड़ी थी।

6 दिसंबर: सीरियल ब्लास्ट का दिन तय था

जांच में मिले नोट्स और चैट्स में बार-बार “D6” लिखा मिला — जिसे जांचकर्ता ऐसे समझ रहे हैं:

  • D = December (दिसंबर)

  • 6 = 6th (छठी तारीख)

यानी 6 दिसंबर को दिल्ली और आसपास के राज्यों में एक साथ या समय-समय पर धमाके करने की तैयारी थी ताकि बड़े पैमाने पर दहशत फैलाई जा सके।

चलती कारों को बम में बदलने की साजिश

फॉरेंसिक टीमों के मुताबिक हर कार में यह विस्फोटक डिजाइन तैयार था:

  • 2–3 किलो TATP ट्रिगर के तौर पर

  • अमोनियम नाइट्रेट + फ्यूल ऑयल का भारी चार्ज

  • कुल विस्फोटक भार 40–50 किलो प्रति वाहन

यानी भीड़भाड़ और प्रतीकात्मक जगहों पर कार-बम हमलों की पूरी प्लानिंग थी।

व्हाइट-कॉलर मॉड्यूल के चेहरे उजागर

इस साजिश की चौंकाने वाली बात यह है कि मॉड्यूल में शामिल कई लोग डॉक्टर, अकादमिक और पेशेवर थे।

मुख्य संदिग्ध डॉ. मुअज़म्मिल गणई ने लाल किले, इंडिया गेट और ओल्ड दिल्ली क्षेत्र में कई बार रेक्की की थी।

दिल्ली, हरियाणा, यूपी और कश्मीर में छापों में करीब 2,900 किलो विस्फोटक केमिकल बरामद हुए — जो बड़े पैमाने पर हमले की तैयारी को दर्शाता है।

लाल किले का धमाका शायद गलती से हुआ

जांच एजेंसियों का झुकाव इस ओर है कि:

  • या तो TATP की volatile प्रकृति के कारण कार में ही धमाका हो गया

  • या हमलावर घबरा गया और टाइमर गलत सेट कर दिया

यह “अकस्मात” विस्फोट ही पूरे D6 प्लान के फेल होने की वजह बना।

जांच ने उजागर किए ये खास पैटर्न

अधिकारियों के अनुसार यह प्लान बेहद प्रोफेशनल तरीके से तैयार किया गया था:

  • कई कारें “डिलीवरी यूनिट” के रूप में तैयार

  • बड़े शहरों के प्रतीकात्मक टारगेट

  • तय तारीख (6 दिसंबर)

  • महीनों की रेक्की

  • एन्क्रिप्टेड चैट्स

  • केमिकल, फंडिंग और वाहनों की क्रॉस-स्टेट सप्लाई चेन

देशव्यापी जांच तेज

NIA, NSG, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और केंद्रीय खुफिया एजेंसियां अब इन बिंदुओं पर फोकस कर रही हैं:

  • “D6” और “6L” कोड का पूरा अर्थ

  • जुड़े स्लीपर सेल

  • विस्फोटक और गाड़ियों की सप्लाई चेन

  • विदेशी लिंक और कट्टरपंथी चैनल

  • हवाला नेटवर्क के जरिए फंडिंग

अधिकारियों का कहना है कि यह हाल के वर्षों में सबसे बड़ा और गंभीर आतंकवादी षड्यंत्र था, जिसे समय रहते नाकाम कर दिया गया।

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