‘धर्म ध्वज’ (Dharma Dhwaj) — राम मंदिर (Ram Mandir) का अंतिम शिखर पूर्ण

‘धर्म ध्वज’ — राम मंदिर का अंतिम शिखर पूर्ण
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अयोध्या में पीएम मोदी ने फहराया ‘धर्म ध्वज’

अयोध्या: अयोध्या के राम मंदिर (Ram Mandir) में मंगलवार को एक ऐतिहासिक दृश्य सामने आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के मुख्य शिखर पर “धर्म ध्वज” (Dharma Dhwaj) फहराया। आकाश से पुष्पवर्षा, शंखध्वनि, वैदिक मंत्रोच्चार—पूरी अयोध्या इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी।

 

एक साधारण नहीं — विशेष ध्वज

यह ध्वज साधारण कपड़े का नहीं, बल्कि अत्यंत विशेष रूप से बनाया गया है—

  • 22 फीट लंबा, 11 फीट चौड़ा, और

  • 42 फीट ऊँचे ध्वजदंड पर स्थापित, जो 161 फीट ऊँचे मंदिर शिखर से जुड़ा है।

ध्वज बनाने में रेशमी धागे और पैराशूट-ग्रेड फैब्रिक का इस्तेमाल किया गया है। यह कठोर मौसम, तेज़ धूप, नमी और हवा—सबका सामना करने में सक्षम है। इसके निर्माण में विशेषज्ञों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की सलाह ली गई।

ध्वज को ऐसी तकनीक से लगाया गया है कि वह 360 डिग्री में आसानी से घूम सके और तेज़ हवा में भी बिना मुड़े या क्षतिग्रस्त हुए स्थिर रहे।

ध्वज पर बने तीन पवित्र प्रतीक

धर्म ध्वज पर तीन प्रमुख प्रतीक बने हैं—

  • ॐ (Om) — आदि नाद का प्रतिनिधित्व करता है

  • सूर्य — भगवान राम की सूर्यवंशी परंपरा का प्रतीक

  • कोविदार वृक्ष — प्राचीन भारतीय परंपरा और ज्ञान का संकेत

ये प्रतीक भगवान राम के समय से जुड़े माने जाते हैं और इनका डिज़ाइन पुराने रामायण पांडुलिपियों और परंपरागत चित्रांकन के अध्ययन से पुनर्स्थापित किया गया है।

मंत्रों और शंखों के बीच हुआ ध्वजारोहण

ध्वजारोहण के लिए निर्धारित शुभ मुहूर्त सुबह 11:52 से 12:35 बजे के बीच था। ध्वज फहराने की प्रक्रिया केवल 4 मिनट की रही।

21 वैदिक आचार्यों ने मंत्रोच्चार किया और स्वयंसेवकों ने शंख बजाए। उसी दौरान हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए—जिससे मंदिर की ऊँचाई और ध्वज का क्षण और अधिक अलौकिक दिखा।

इस दौरान मंदिर आम दर्शन के लिए बंद रहा, केवल निमंत्रित अतिथियों को प्रवेश मिला।

7,000 आमंत्रित — समाज का पूर्ण प्रतिनिधित्व

ध्वजारोहण कार्यक्रम में लगभग 6 से 7 हजार लोग शामिल हुए। इनमें—

  • विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि

  • ग्रामीण परिवार

  • संत-महात्मा

  • उद्योगपति और दानदाता

  • इतिहासकार और विद्वान

मंदिर परिसर में बैठने के लिए 15 खंड बनाए गए, हर एक का नाम एक ऋषि के नाम पर रखा गया।
एक विशाल 200 फीट का LED स्क्रीन समारोह को लाइव दिखा रहा था।

इस तारीख का धार्मिक महत्व

25 नवंबर का चयन संयोग नहीं था। परंपरा के अनुसार—

इसी पंचमी तिथि पर त्रेता युग में भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था।

इसी कारण, आज का ध्वजारोहण राम-स्मृति और वैवाहिक मंगल तिथि के अनुरूप एक विशिष्ट आध्यात्मिक क्षण माना गया।

नेताओं का वक्तव्य — राजनीति नहीं, संस्कृति का क्षण

ध्वजारोहण के बाद PM मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में पूजा की।

  • योगी आदित्यनाथ ने इसे “राम की नगरी की सांस्कृतिक पुनर्जागरण” का क्षण बताया।

  • मोहन भागवत ने कहा कि यह ध्वज कई पीढ़ियों की आस्था का फल है।

  • पीएम मोदी के लिए यह ध्वज प्राण प्रतिष्ठा से लेकर मंदिर के पूर्ण होने तक की यात्रा का अंतिम अध्याय है।

ध्वज का अर्थ — आस्था का जीवंत संकेत

धर्म शास्त्रों में मंदिर पर लगा ध्वज दिव्य उपस्थिति का सूचक माना जाता है। जहां ध्वज फहरता है, वह स्थान पवित्र और संरक्षित माना जाता है।

आज राम मंदिर का धर्म ध्वज पूरे अयोध्या पर दृष्टिगोचर है—
एक संकेत कि—
“यह राम की भूमि है, यह आस्था की भूमि है, यह स्मृति और श्रद्धा की भूमि है।”

राम मंदिर अब केवल निर्माण की दृष्टि से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सोपान की पूर्णता के रूप में खड़ा है—और उसके शिखर पर फहराता यह धर्म ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था का शाश्वत प्रतीक बन चुका है।

Ashis Sinha

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