क्या है नेशनल हेराल्ड (National Herald) घोटाला?

क्या है नेशनल हेराल्ड (National Herald) घोटाला?
78 / 100 SEO Score

 

National Herald केस: ₹2,000 करोड़ पर गांधी परिवार की कथित साजिश?

 

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड (National Herald) केस भारत का एक प्रमुख वित्तीय–कानूनी विवाद है, जिसमें कांग्रेस नेतृत्व—विशेष रूप से सोनिया गांधी और राहुल गांधी—पर आरोप है कि उन्होंने Associated Journals Limited (AJL) की संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण हासिल करने के लिए Young Indian (YI) कंपनी का उपयोग किया। मामला इस समय भी अदालतों और प्रवर्तन एजेन्सियों की जांच के अधीन है।

पृष्ठभूमि: AJL और अख़बार का इतिहास

नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1937–38 में स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं द्वारा की गई थी जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। AJL कंपनी के अंतर्गत यह अख़बार—साथ ही कौमी आवाज़ और नवजीवन—निकाला जाता था। आर्थिक कठिनाइयों के कारण अख़बार का प्रकाशन धीरे–धीरे बंद हो गया और कांग्रेस पर यह दायित्व था कि वह AJL को आवश्यक आर्थिक सहयोग दे।

कांग्रेस द्वारा AJL को लगभग ₹90 करोड़ का क़र्ज़ बिना ब्याज के उपलब्ध कराया गया, जिससे अख़बार को पुनर्जीवित करने की बात कही गई।

Young Indian: कंपनी संरचना और शेयर–होल्डिंग

Young Indian एक नॉट–फॉर–प्रॉफ़िट कंपनी के रूप में 2010 में स्थापित हुई। इसकी शेयर–होल्डिंग इस प्रकार है:

  • सोनिया गांधी – 38%
  • राहुल गांधी – 38%
  • मोतीलाल वोरा – 12%
  • ऑस्कर फर्नांडिस – 12%

यानी सोनिया और राहुल गांधी के पास संयुक्त रूप से 76% बहुमत हिस्सेदारी है, जबकि शेष 24% शेयर कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेताओं—दिवंगत मोतीलाल वोरा और दिवंगत ऑस्कर फर्नांडिस—के पास थे।

इसी आधार पर आरोप लगाया जाता है कि Young Indian में बहुमत नियंत्रण के कारण गांधी परिवार ने AJL की संपत्तियों और उसके संचालन पर वास्तविक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।

मुख्य आरोप: लोन–असाइनमेंट और शेयर–ट्रांसफ़र

आरोपकर्त्ता का कहना है कि:

  • कांग्रेस का लगभग ₹90 करोड़ का क़र्ज़ AJL से Young Indian को केवल ₹50 लाख के एवज में ट्रांसफर कर दिया गया।
  • इसके बदले में AJL ने अपने अधिकांश शेयर Young Indian को सौंप दिए।
  • इससे AJL की बड़ी रियल–एस्टेट संपत्तियाँ, जिनका मूल्य कई हज़ार करोड़ रुपये बताया जाता है, प्रभावी रूप से Young Indian के नियंत्रण में आ गईं।

आरोप है कि यह प्रक्रिया अख़बार बचाने के बजाय संपत्ति–नियंत्रण के उद्देश्य से की गई।

ED व आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्रवाई

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस केस को मनी लॉन्ड्रिंग के संदर्भ में जांचना शुरू किया।
  • राहुल गांधी और सोनिया गांधी से कई बार पूछताछ की गई।
  • AJL और Young Indian से जुड़ी कुछ संपत्तियों को अटैच किया गया।
  • दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने भी FIR दर्ज कर मामले में समानांतर जांच शुरू की।

ये सभी कार्रवाइयाँ अभी कानूनी प्रक्रिया में हैं और कोर्ट में चुनौती के अधीन हैं।

सोनिया और राहुल का पक्ष

कांग्रेस और गांधी परिवार का कहना है कि:

  • पूरी प्रक्रिया कानून के दायरे में पारदर्शिता से की गई।
  • Young Indian एक नॉट–फॉर–प्रॉफ़िट कंपनी है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को लाभांश (डिविडेंड) नहीं मिलता।
  • यह मामला पूरी तरह राजनीतिक द्वेष और बदले की कवायद है।
  • संपत्तियाँ निजी स्वामित्व में नहीं गईं, बल्कि कंपनी के ढांचे में ही रहीं।

वर्तमान स्थिति: मामला अभी Sub–judice

  • अदालत ने अभी तक अंतिम निर्णय नहीं दिया है।
  • न तो सोनिया और राहुल गांधी, और न ही अन्य व्यक्तियों को इस मामले में दोषी करार दिया गया है।
  • अंतिम निष्कर्ष अदालत का आदेश ही तय करेगा।

नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल–सोनिया पर नई FIR, ₹2,000 करोड़ पर गांधी परिवार की कथित साजिश?

नेशनल हेराल्ड मामले में एक नया मोड़ आ गया है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नई FIR दर्ज की है। इस FIR में आपराधिक साजिश और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं।

यह FIR 3 अक्टूबर को दर्ज की गई थी, जिसमें छह व्यक्तियों के नाम शामिल हैं — जिनमें गांधी परिवार के दोनों नेता और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा भी हैं। FIR में जिन तीन कंपनियों का नाम है वे हैं: एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड।

आरोप है कि कोलकाता की कंपनी डोटेक्स ने यंग इंडियन को ₹1 करोड़ ट्रांसफर किए। यंग इंडियन में राहुल और सोनिया की 76% हिस्सेदारी है। बताया जाता है कि इस धन का इस्तेमाल AJL पर नियंत्रण करने के लिए किया गया।

अधिकारियों का कहना है कि केवल ₹50 लाख में यंग इंडियन ने AJL का नियंत्रण हासिल कर लिया, जबकि AJL से जुड़ी संपत्तियों का अनुमानित मूल्य करीब ₹2,000 करोड़ बताया जाता है। आरोप यह है कि इतनी बड़ी संपत्ति को बेहद कम रकम दिखाकर कब्जा करने की साजिश रची गई।

यह FIR प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई, जिसने पहले ही इस मामले में अपने निष्कर्ष दिल्ली पुलिस को सौंपे थे।

इस कार्रवाई के साथ नेशनल हेराल्ड मामला एक बार फिर तेज हो गया है और कांग्रेस नेतृत्व पर कानूनी दबाव बढ़ने की संभावना है।

नेशनल हेराल्ड केस राजनीति, कानूनी प्रक्रिया, संपत्ति–मूल्यांकन और कंपनी–गवर्नेंस का एक जटिल संगम है। आरोप–प्रतिरोप तीखे हैं, किन्तु निर्णय अब अदालत और कानून पर निर्भर है।

Ashis Sinha

About Ashis Sinha

Ashis Sinha Journalist

View all posts by Ashis Sinha →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *