‘ऑपरेशन महादेव’ की टाइमिंग पर अखिलेश के बाद, अब जया बच्चन ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर संसद में उठाया सवाल

 

 

नई दिल्ली:  संसद में बुधवार को उस वक्त जोरदार हंगामा हो गया जब समाजवादी पार्टी की सांसद और फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन ने सरकार से पूछ लिया कि “आख़िर इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों रखा गया?”

जया बच्चन का यह बयान एक दिन बाद आया जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘ऑपरेशन महादेव’ की टाइमिंग पर सवाल उठाया था, जिसमें सोमवार को पहलगाम हमले के तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। अखिलेश ने आरोप लगाया था कि यह ऑपरेशन राजनीतिक फायदे के लिए टाइम किया गया

अब बुधवार को जया बच्चन ने सरकार के ऑपरेशन के नाम पर ही सवाल उठा दिए।
उन्होंने कहा:

“आपने इसका नाम सिंदूर क्यों रखा? उस दिन सिंदूर मिटा दिया गया था… पत्नियों ने अपने पतियों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा।”

जया बच्चन ने 22 अप्रैल को बाइसारन घाटी, पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई। लेकिन इसके बाद उन्होंने ऑपरेशन के नाम पर तंज कसते हुए कहा:

“आपके स्क्रिप्ट राइटर्स को बधाई देनी चाहिए, नाम तो बहुत शानदार चुनते हैं।”

उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। बीच में टोका-टोकी होने पर जया ने गुस्से में कहा:

“जब कोई महिला बोलती है तो मैं बीच में नहीं बोलती, आप भी ज़रा जुबान संभालिए।”

पास में बैठीं शिवसेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उन्हें शांत करने की कोशिश की, तो जया बच्चन ने झल्लाते हुए कहा:

“प्रियंका, मुझे कंट्रोल मत करो।”
प्रियंका ने बस हल्की मुस्कान में बात को टाल दिया।

इसके बाद जया बच्चन ने सरकार की इंटेलिजेंस विफलता पर भी सवाल खड़े कर दिए और कहा कि यह जनता के विश्वास के साथ धोखा है।

“आपने लोगों का भरोसा तोड़ दिया है, जो परिवार उजड़ गए हैं, वो कभी माफ नहीं करेंगे।”

सरकार की ओर से जया बच्चन की बातों पर कड़ा जवाब आया।
बीजेपी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा:

“हां, आतंकियों ने सिंदूर मिटाया—but सिंदूर कोई सजावट नहीं, ये शक्ति और संकल्प का प्रतीक है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का मतलब है–अगर तुम हमारा सिंदूर मिटाओगे, तो हम तुम्हें मिटा देंगे—and हमने किया।”

सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद चुना था। यह नाम हिंदू परंपरा में शादीशुदा महिलाओं के सिंदूर से जुड़ा है और यह उस हमले के बाद न्याय और गरिमा की प्रतीक के रूप में चुना गया, जिसमें कई हिंदू पुरुषों को उनके परिवार के सामने मार दिया गया था।

अब यह पूरा मामला सिर्फ एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि राजनीति, भावनाओं और विचारधारा के टकराव का मुद्दा बन गया है।

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