नई दिल्ली: एप्पल अब भारत में iPhone बनाने को लेकर बड़ा दांव खेल रहा है। 2017 में एक छोटे-से पायलट प्रोजेक्ट से शुरू हुई यह यात्रा अब भारत को एप्पल की ग्लोबल स्ट्रैटेजी का अहम हिस्सा बना चुकी है।
पीएम नरेंद्र मोदी और एप्पल के सीईओ टिम कुक की पहली मुलाकात के बाद कंपनी ने तमिलनाडु और कर्नाटक में ट्रेनिंग सेंटर, डॉरमेट्री और फैक्ट्रियों का नेटवर्क खड़ा कर दिया। अब दो नए मैन्युफैक्चरिंग हब तैयार हो रहे हैं, जिनसे अगले दो साल में भारत की हिस्सेदारी 14% से बढ़कर लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव ने भी इस बदलाव को तेज किया। 2025 में अमेरिका ने चीन में बने iPhone पर 20% टैरिफ लगा दिया, लेकिन भारत में बने iPhone को छूट मिल गई। इसके बाद एप्पल का झुकाव तेजी से भारत की तरफ बढ़ा।
अप्रैल–जून तिमाही में टिम कुक ने खुलासा किया कि अमेरिका में बिकने वाले ज़्यादातर iPhone अब भारत में बनते हैं।
तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में फॉक्सकॉन की फैक्ट्री में करीब 40,000 लोग काम करते हैं, जिनमें 80% से ज्यादा महिलाएं हैं। यहां तीन शिफ्ट में काम होता है और हज़ारों कर्मचारी सरकारी मदद से बने डॉरमेट्री में रहते हैं। राज्य सरकार ने नई सड़कें, सब्सिडी और एयरपोर्ट प्लान जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड देकर निवेश को बढ़ावा दिया है।
दोनों नए प्लांट शुरू होने के बाद दक्षिण भारत में अकेले iPhone असेंबली में लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। महिलाओं को प्राथमिकता देकर भर्ती करना और हॉस्टल, मनोरंजन और शॉपिंग सुविधाएं देना ग्रामीण इलाकों की युवतियों के लिए रोज़गार और सामाजिक बदलाव का बड़ा जरिया बन रहा है।
एप्पल वियतनाम, मलेशिया और अमेरिका में भी उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अगले पांच साल में एप्पल की सप्लाई चेन का बड़ा हिस्सा चीन से रिप्लिकेट कर सकता है—और तब भारत iPhone उत्पादन का वैश्विक केंद्र बन जाएगा।