नई दिल्ली: Bharat (भारत ) ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ा मुकाम हासिल किया है। देश ने सोमवार को 800 किलोमीटर तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह अब तक की सबसे लंबी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल है और इसके सफल परीक्षण से भारत की सैन्य ताकत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को बड़ा बढ़ावा मिला है।
नई रेंज, नई ताकत
इस नई पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल में अपग्रेडेड इंजन, बेहतर एरोडायनामिक डिज़ाइन और अत्याधुनिक गाइडेंस सिस्टम लगाया गया है। मिसाइल करीब मैक 3 (तीन गुना आवाज़ की रफ्तार) से उड़ सकती है और अपने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेदती है।
रक्षा वैज्ञानिकों के मुताबिक, मिसाइल ने तय लक्ष्य को “सटीकता से” निशाना बनाया। यह मिसाइल थल, जल और वायु – तीनों माध्यमों से लॉन्च की जा सकती है, जिससे भारतीय सेनाओं की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
Bharat की रणनीतिक बढ़त
800 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस के आने से भारत की स्ट्राइक और डिटरेंस (प्रति-आक्रमण क्षमता) दोनों मजबूत हुई हैं। यह मिसाइल भारत को उन लक्ष्यों तक पहुंचने की शक्ति देती है जो पहले की रेंज से बाहर थे, यानी अब भारत के पास दूर से हमला करने की जबरदस्त ताकत है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत की रणनीतिक ताकत में “गेम-चेंजर” साबित होगी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी।
जल्द होगी सेना में तैनात
नवीनतम जानकारी के अनुसार, 800 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल को अगले दो वर्षों में भारतीय सेनाओं में शामिल किया जा सकता है। इसका उत्पादन लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में किया जाएगा — जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह नई मिसाइल जल्द ही भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और वायुसेना के लड़ाकू विमानों में भी लगाई जाएगी, जिससे दोनों सेनाओं की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
नेताओं और वैज्ञानिकों ने दी बधाई
परीक्षण के बाद रक्षा मंत्रालय और शीर्ष वैज्ञानिकों ने इसे भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक बताया। उनका कहना है कि ब्रह्मोस अब “भारत की रक्षा ताकत की धार” बन चुकी है और इसका नया संस्करण देश को किसी भी परिस्थिति में जवाब देने में सक्षम बनाता है।
एक नई ऊंचाई, एक नया आत्मविश्वास
800 किमी रेंज की ब्रह्मोस के सफल परीक्षण के साथ भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल बनाने और चलाने की तकनीक है। यह सफलता भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।