अरुण पाठक
Bokaro: “जाति-धर्म के नाम पर इंसानियत को मत बाँटो”—इस सशक्त संदेश के साथ गुरुवार शाम बोकारो इस्पात पुस्तकालय, सेक्टर-5, कविता, विचार और संवेदना का जीवंत मंच बन गया। बोकारो स्टील प्लांट और अखिल भारतीय चेतना दर्पण के संयुक्त आयोजन में हुई साहित्यिक कवि गोष्ठी में शहर के नामचीन कवि-लेखकों ने अपनी ओजपूर्ण और विचारोत्तेजक रचनाओं से श्रोताओं को बांधे रखा, जहां साहित्य केवल शब्द नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की आवाज बनकर भरा।
शहर के प्रतिष्ठित कवियों और रचनाकारों ने अपनी ओजपूर्ण, भावनात्मक और विचारोत्तेजक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महाप्रबंधक (क्रय) नीरजा शतदल ने कविता पाठ करते हुए कहा कि साहित्य व्यक्ति के अंतर्मन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है और समाज व राष्ट्र को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बोकारो की साहित्यिक चेतना को जीवंत बनाए रखने के लिए ऐसी गोष्ठियों को आवश्यक बताया।

विशिष्ट अतिथि महाप्रबंधक (संपर्क एवं प्रशासन) चौधरी रत्नेश कुमार सुधांशु ने कहा कि स्थानीय रचनाकारों की सक्रिय भागीदारी से नवोदित प्रतिभाओं को संबल मिलता है और साहित्यिक परंपरा मजबूत होती है।
वरिष्ठ साहित्यकार व विहंगम योग के अंतरराष्ट्रीय प्रचारक सुखनंदन सिंह ‘सदय’ ने “झारखंड अभिनंदन” का पाठ कर साहित्य को समाज से जोड़ने का माध्यम बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि जगन्नाथ शाही ने की, जबकि संचालन अखिल भारतीय चेतना दर्पण के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र कुमार राय ने किया।
कवि गोष्ठी में रेणुका सिन्हा, अमृता शर्मा, काजल भालोटिया, करुणा कलिका, दीप्ति झा, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. आशा पुष्प, सुबोध कुमार शैलांश, गीता कुमारी गुस्ताख, लव कुमार, रिंकू गिरि रतन, राबिया शेख, प्रभा मोहनन नायर, संजू गिरि, डॉ. परमेश्वर भारती, ज्योतिर्मय डे राणा, ब्रह्मानन्द गोस्वामी, डी. एन. सिंह और सचिन बृजनाथ सहित अनेक रचनाकारों ने विविध सामाजिक, मानवीय और राष्ट्रीय विषयों पर काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण अरुण पाठक की हिन्दी कविता “हम हैं बिहारी, बिहार है गौरव हमारा…” और मैथिली सद्भावना गीत “जाति-धर्म के नाम पर नहि बाँटू इंसान के…” रहा, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
अध्यक्षीय संबोधन में जगन्नाथ शाही ने अपनी चर्चित कविता “राजघाट पर सोए गांधी, जागो आज बेचैन धरा है” का भावपूर्ण पाठ किया और साहित्यकारों से गहन अध्ययन, व्याकरण की समझ और मंच अनुशासन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जबरदस्ती कवि नहीं, जबरदस्त कवि बनें—इसके लिए पढ़ना, सोचना और मनन जरूरी है।”
कार्यक्रम का समापन लव कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारी, साहित्यकार और बड़ी संख्या में साहित्य-प्रेमी उपस्थित रहे।

