“जेल से सरकार? ऐसा नहीं चलेगा!”

30 / 100 SEO Score

– अमित शाह ने किया ‘आपराधिक नेता विधेयक’ का बचाव

नई दिल्ली: देश की सियासत में इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चा “आपराधिक नेता विधेयक” (Criminal Neta Bill) की हो रही है। विपक्ष इसे “तानाशाही” बता रहा है, तो सरकार कह रही है कि “अब अपराधियों को सत्ता के गलियारों से बाहर निकालने का वक्त आ गया है।”

सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एएनआई से बात करते हुए दो टूक कहा –
“क्या यह सही है कि अगर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जेल चले जाएं तो सरकार वहीं से चलती रहे? लोकतंत्र किसी एक व्यक्ति पर नहीं रुकता। बहुमत वाली पार्टी नया नेता चुन सकती है।”

क्या है ‘आपराधिक नेता विधेयक’?

  • इसका आधिकारिक नाम है संविधान (130वां संशोधन) विधेयक

  • प्रावधान यह कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री लगातार 30 दिन जेल में रहता है और उस पर ऐसे अपराध का आरोप है, जिसमें कम से कम 5 साल की सज़ा हो सकती है, तो उसे पद से हटना होगा।

  • अभी तक नेता तभी अयोग्य होते हैं जब उन्हें सज़ा सुनाई जाती है। यह बिल जेल में रहते हुए “सरकार चलाने” पर रोक लगाएगा।

मोदी बनाम इंदिरा: शाह का तंज

अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि “नरेंद्र मोदी ने खुद को इस कानून के दायरे में रखा है, जबकि इंदिरा गांधी ने खुद को बचाने के लिए संविधान ही बदल दिया था।”

उन्होंने राहुल गांधी पर भी वार किया – “जो कभी दोषी नेताओं को बचाने वाला अध्यादेश फाड़ते थे, आज उन्हीं नेताओं के साथ खड़े हैं।”

विपक्ष का हल्ला बोल

  • राहुल गांधी: “यह विधेयक जनता द्वारा चुने गए नेताओं को कमजोर करता है।”

  • प्रियंका गांधी: इसे “असंवैधानिक” करार दिया।

  • ममता बनर्जी: बोलीं, “यह लोकतंत्र की मौत की घंटी है।”

  • अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बिल नेताओं को फंसाने और विरोधियों को कमजोर करने का हथियार है।

 

 

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी का कहना है कि यह कानून राजनीति को अपराधमुक्त करने का सबसे बड़ा कदम है। पार्टी का दावा है कि “जनता अब ऐसे नेताओं को सत्ता में नहीं देखना चाहती जिनके खिलाफ गंभीर केस हों।”

क्यों अहम है यह बिल?

भारत की राजनीति लंबे समय से “दागी नेताओं” की समस्या से जूझ रही है। संसद और विधानसभाओं में कई ऐसे सांसद-विधायक हैं जिन पर गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं। इस बिल को सत्ता और अपराध के रिश्ते को तोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक सुधार माना जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *