ढाका : बांग्लादेश में साल 2024 के छात्र आंदोलन पर की गई कथित हिंसक कार्रवाई को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर “मानवता के खिलाफ अपराध” के गंभीर आरोप लगे हैं। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हसीना और दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को औपचारिक रूप से आरोपित किया है।
मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने रविवार को एक लाइव सुनवाई में बताया कि हसीना ने खुद “सरकारी सुरक्षा बल और अपनी पार्टी से जुड़े गुटों को छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया,” जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं।
इस्लाम ने कहा, “ये हत्याएं पहले से योजनाबद्ध थीं।” उन्होंने इस बात के भी सबूत पेश किए कि एजेंसियों के बीच गोपनीय बातचीत और रिकॉर्डिंग से यह बात साफ होती है कि कार्रवाई सुनियोजित थी।
मामले में 81 गवाहों को शामिल किया गया है और यह दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री होने के नाते हसीना पूरी कार्रवाई की जिम्मेदार हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, “उन्होंने पुलिस, सेना और अपनी पार्टी के हथियारबंद कार्यकर्ताओं को आंदोलन कुचलने के लिए लगाया।”
ट्रिब्यूनल की यह सुनवाई देश में पहली बार लाइव टीवी पर प्रसारित की गई, जो एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि शेख हसीना ने अगस्त 2024 में 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद इस्तीफा दे दिया था और दिल्ली चली गई थीं। उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई और अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की जान गई थी, जब छात्र कोटा विरोधी आंदोलन देशभर में भड़क उठा और सरकार ने सख्ती दिखाई। यह समय बांग्लादेश की आज़ादी के बाद सबसे हिंसक माना जा रहा है।
इसी मामले से जुड़ी एक और सुनवाई 25 मई को शुरू हुई, जिसमें छह प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में आठ पुलिस अफसरों पर केस चला। इनमें से चार हिरासत में हैं और बाकी को अनुपस्थिति में ट्रायल का सामना करना पड़ रहा है।