डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का नाम इतिहास में कई वजहों से याद रखा जाएगा, लेकिन सबसे बड़ी वजह है उनका टैरिफ़ नीति का तरीका। चीन, भारत, कनाडा, यूरोप और अब दवाइयों तक — ट्रम्प ने हर जगह टैरिफ़ को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने में लगे हैं।
टैरिफ़ नीतियों के तहत अमेरिकी सरकार ने लगातार आयात शुल्क बढ़ाने, ताकि घरेलू उद्योगों को बचाया जा सके और व्यापार घाटे को कम किया जा सके। लेकिन इन टैरिफ़ों के पीछे केवल व्यापार घाटे की चिंता नहीं थी; इसके पीछे भूराजनीतिक दबाव, ऊर्जा सुरक्षा और कृषि हित भी है।
Donald Trump के ट्रेड वॉर: दबाव की रणनीति
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल (2017–2021) में चीन के खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल शुरू किया। 2025 तक यह रणनीति अन्य बड़े व्यापारिक साझेदारों तक फैल गई, जिससे उन्हें व्यापारिक, राजनीतिक और रणनीतिक लाभ मिला।
चीन: कई चरणों के आर्थिक युद्ध
उत्थान:
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2018–2020: अमेरिका ने चीन से आयातित सामानों पर 10–25% टैरिफ लगाए, ताकि व्यापार घाटा कम किया जा सके और चीन पर आईपी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का दबाव डाला जा सके।
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2020 फेज वन डील: कुछ रियायतें दी गईं, पर टैरिफ अधिकतर बने रहे।
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2025 नवीनीकरण: इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कुछ सामानों पर 50% और उससे अधिक की दरें; प्रभावी दरें 100% से भी ऊपर।
चीन की प्रतिक्रिया:
चीन ने अमेरिकी कृषि, ऑटो और टेक्नोलॉजी पर टैरिफ लगाया और अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए ग्लोबल व्यापार साझेदारियाँ बढ़ाईं।
भारत: 2025 में दोहरा हमला
भारत को अमेरिकी टैरिफ की दो बड़ी वजहों से झटका लगा:
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रूस से तेल की खरीद: भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता रहा, जिसे ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ माना।
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अमेरिकी कृषि उत्पादों की रोक: भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों के प्रवेश पर रोक लगाई, जिससे वॉशिंगटन की व्यापार योजनाएं बाधित हुईं।
टैरिफ के कदम:
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25% प्रारंभिक टैरिफ: टेक्सटाइल, मशीनरी और अन्य भारतीय उत्पादों पर।
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अतिरिक्त 25% जुर्माना टैरिफ: ऊर्जा आयात से जुड़ा, कुल प्रभावी टैरिफ 50% तक।
भारत ने इसे अन्यायपूर्ण बताया, जबकि अमेरिका ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापारिक दबाव का मिश्रण बताया।
कनाडा: उत्तर अमेरिकी व्यापार में तनाव
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फरवरी 2025: अधिकांश कनाडाई आयातों पर 25% टैरिफ, कुछ कृषि और ऊर्जा उत्पादों को छूट।
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USMCA तनाव: अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता होने के बावजूद ट्रम्प ने कनाडा पर और बढ़ोतरी का दबाव बनाया।
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वजह: अमेरिका चाहता था व्यापार संतुलन में लाभ और कनाडाई उद्योगों को अमेरिकी बाजार को प्राथमिकता देने पर मजबूर करना।
फ्रांस और यूरोपीय संघ: लक्ज़री सामान पर वार
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ट्रम्प ने फ्रेंच वाइन, चीज़ और लक्ज़री वस्तुओं पर 50% टैरिफ की धमकी दी।
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बातचीत में अधिकांश टैरिफ 15% पर तय हुए, लेकिन अनिश्चितता ने निर्यातकों को हिला दिया।
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उद्देश्य: अमेरिकी उद्योगों की रक्षा और यूरोपीय व्यापार नीतियों पर दबाव।
ट्रम्प का टैरिफ पैटर्न: झटका, दबाव, फिर नया लक्ष्य
ट्रम्प की रणनीति चक्रीय है: टैरिफ लगाना → प्रतिक्रिया पैदा करना → आंशिक रियायत → नया लक्ष्य। यही उनका “शॉक और लीवरेज” तरीका है—आधुनिक टैरिफ कूटनीति, कुछ सौदेबाजी, कुछ मीडिया तमाशा।
2025 के झटके: दवाइयां और हॉलीवुड
दवाइयां:
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25 सितंबर 2025: सभी ब्रांडेड और पेटेंट वाली दवाओं पर 100% टैरिफ, 1 अक्टूबर से लागू।
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छूट: जेनेरिक दवाएं और अमेरिकी निवेश वाले प्लांट।
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प्रभाव: वैश्विक फार्मा कंपनियों ने अमेरिकी निवेश योजनाएं तेज़ की। घरेलू दवा कीमतें बढ़ने की आशंका। ट्रम्प ने अमेरिकी निर्भरता कम करने और घरेलू निर्माण बढ़ाने का हवाला दिया।
हॉलीवुड फिल्में:
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29 सितंबर 2025: विदेशों में बनी सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ की घोषणा।
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प्रभाव: विदेशी बाजार और सह-निर्माण पर निर्भर स्टूडियो संकट में। कानूनी अधिकार अस्पष्ट, लेकिन यह ट्रम्प की संरक्षणवादी नीति का नया मोर्चा है।
टैरिफ की विरासत
इस्पात, एल्यूमिनियम, टेक्सटाइल्स से लेकर फ्रेंच वाइन, कनाडाई सामान, चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स, जीवनरक्षक दवाएं और हॉलीवुड फिल्मों तक, ट्रम्प का टैरिफ हथौड़ा, उद्योगों और महाद्वीपों पर चला।
आलोचक इसे लापरवाह संरक्षणवाद कहते हैं, समर्थक इसे साहसिक आर्थिक राष्ट्रवाद। इतिहास में डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा अमेरिका के “टैरिफ सम्राट” के रूप में याद रहेंगे—वह नेता जिसने लगभग हर विदेशी चीज़ पर Tariff…
अब आगे देखना है कि Trump का यह कदम कहीं पतन का कारण न बन जाए…?