किशोरावस्था की चुनौतियों से निपटने में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण : डॉ. गंगवार

 

डीपीएस बोकारो में किशोरवय शिक्षा पर दो-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित

बोकारो : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षकों को पूर्णतया तैयार करने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो में आयोजित दो-दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला शुक्रवार को संपन्न हुई। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पटना उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) के तत्वावधान में किशोरवय शिक्षा के विषय पर आयोजित उक्त कार्यक्रम में विद्यालय के लगभग 60 शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यशाला की रिसोर्स पर्सन श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल, बोकारो की प्राचार्या पी. शैलजा जयकुमार एवं एमजीएम हायर सेकेंडरी स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका चंदा कुमारी ने किशोर-शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

कार्यशाला का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार एवं दोनों रिसोर्स पर्सन ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। तत्पश्चात विद्यालय के संगीत शिक्षकों ने गाइए गणपति जग वंदन… भजन की सुमधुर प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की।

अपने संबोधन में दोनों रिसोर्स पर्सन एवं कार्यशाला के सभी प्रतिभागी शिक्षकों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. गंगवार ने किशोरवय शिक्षा को वर्तमान समय का एक ज्वलंत विषय बताया। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था वह समय है जब एक बच्चे में शारीरिक, मानसिक, वैचारिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से तेजी के साथ बदलाव आते हैं। उस अवस्था में बहुत सी चुनौतियां भी आती हैं। बच्चे उन चुनौतियों से निपटें, इस दिशा में शिक्षकों का सहयोग और उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला में किशोरवय शिक्षा से संबंधित सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पहलुओं के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। रिसोर्स पर्सन पी. शैलजा जयकुमार ने कहा कि किशोर भविष्य के नेतृत्वकर्ता हैं। उनकी देखभाल बेहद जरूरी है। 10 से 19 वर्ष का आयुवर्ग किशोरावस्था में आता है, जिसमें होने वाले बदलावों के मद्देनजर उनकी देखभाल में अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों का भी बड़ा योगदान है। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न समूहों में बांटकर शिक्षकों को अलग-अलग गतिविधियों में शामिल किया गया।

शिक्षकों ने किशोर की परिभाषा, उनके गुणों, उनकी भावनाओं, आवश्यकताओं, अपेक्षाओं, परेशानियों और उस अवस्था की चुनौतियों पर अपने विचार और अनुभव साझा किए। रिसोर्स पर्सन श्रीमती जयकुमार एवं चंदा कुमारी ने किशोरावस्था के प्रत्येक गुण-अवगुण, सोशल मीडिया के प्रभाव, लिंगभेद, नशापान की लत आदि से संबंधित बिन्दुओं को विस्तार से रेखांकित किया। कार्यशाला के दूसरे दिन भी विभिन्न प्रकार की गतिविधियां हुईं तथा उनके मूल्यांकन के साथ सत्र का समापन हुआ।

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