News Desk : 22 साल की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पानोली को कोलकाता पुलिस ने एक धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट के कारण गिरफ्तार किया है। उनकी गिरफ्तारी पर अब अंतरराष्ट्रीय और देश के अंदर भी समर्थन और विरोध दोनों हो रहे हैं।
शर्मिष्ठा, जो पुणे की एक लॉ स्टूडेंट हैं, को गुरुग्राम में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया था जिसमें उन्होंने बॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ की चुप्पी पर सवाल उठाया था। इस वीडियो में कुछ ऐसा कहा गया था जिससे कुछ धर्म समुदाय की भावनाएं आहत हुईं। बाद में उन्होंने अपने शब्दों के लिए माफी भी मांगी।
डच सांसद गीर्ट वाइल्डर्स ने इस गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया कि यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए शर्म की बात है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि शर्मिष्ठा को रिहा किया जाए। उन्होंने लिखा, “शर्मिष्ठा को छोड़ो! सच बोलने की वजह से उसे सजा नहीं मिलनी चाहिए।”
Free the brave Sharmishta Panoli!
It’s a disgrace for the freedom of speech that she was arrested.
Don’t punish her for speaking the truth about Pakistan and Muhammad.
Help her @narendramodi! @AmyMek #Sharmishta#IStandwithSharmishta #ReleaseSharmistha #FreeSharmishta pic.twitter.com/YhGSLhuyr2
— Geert Wilders (@geertwilderspvv) May 31, 2025
भारत के अंदर भी इस मामले को लेकर चर्चा हो रही है। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि शर्मिष्ठा ने माफी मांगी और वीडियो हटा दिया, लेकिन जब हमारी आस्था का मज़ाक उड़ाया जाता है तो उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? उन्होंने कहा कि सेक्युलरिज्म सभी के लिए बराबर होना चाहिए।
During Operation Sindoor, Sharmistha, a law student, spoke out, her words regrettable and hurtful to some. She owned her mistake, deleted the video and apologized. The WB Police swiftly acted, taking action against Sharmistha.
But what about the deep, searing pain inflicted… pic.twitter.com/YBotf34YYe
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) May 31, 2025
शर्मिष्ठा ने अपने पोस्ट में लिखा था कि उन्होंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं किया था और अगर किसी को चोट पहुंची है तो वह माफी मांगती हैं।
पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। यह मामला अब पूरे देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक संवेदनशीलता पर बहस का विषय बन गया है।