बिहार में वोटर लिस्ट घोटाला? नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार के लोग भारतीय दस्तावेजों के साथ वोटर लिस्ट में शामिल

बिहार में मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों की एंट्री, चुनाव आयोग की जांच से खुलासा, सुप्रीम कोर्ट भी सख्त

पटना:  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के दौरान चुनाव आयोग को बड़ा खुलासा हुआ है। आयोग की सर्वे टीम ने पाया है कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कई नागरिक बिहार में रह रहे हैं और उनके पास भारतीय आधार कार्ड, राशन कार्ड और निवास प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज हैं।

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी दस्तावेज कथित रूप से अवैध तरीकों से बनवाए गए हैं।
ब्लॉक स्तर के अधिकारी (BLOs) ने कई ऐसे संदिग्ध मामलों की पहचान की है। अब 1 अगस्त से 30 अगस्त तक इन मामलों की गहराई से जांच की जाएगी। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो उन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे।

चुनाव से पहले बवाल

इस खुलासे ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की सफाई को लेकर जहां एक ओर सरकार इसे जरूरी कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “चुनावी साजिश” करार दे रहा है।

आरजेडी और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यह मतदाता सूची से कुछ खास समुदायों के नाम हटाने की रणनीति है। वहीं बीजेपी का कहना है कि अगर इस प्रक्रिया का मकसद फर्जी मतदाताओं को हटाना है, तो विपक्ष को डर किस बात का है?

सुप्रीम कोर्ट ने भी उठाए सवाल

ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। आरजेडी सांसद मनोज झा, एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई संगठनों ने इस प्रक्रिया को चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से पूछा कि इतनी बड़ी आबादी (करीब 8 करोड़) के बीच इतनी जल्दी जांच पूरी करना क्या मुमकिन है? कोर्ट ने कहा कि आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों पर ही दोबारा सत्यापन किया जा रहा है, जबकि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

कोर्ट ने टिप्पणी की,

“आपकी प्रक्रिया गलत नहीं है, लेकिन इसका समय ठीक नहीं है। हमें संदेह है कि यह चुनाव से पहले पूरा हो पाएगा और कहीं वैध मतदाता ही बाहर न हो जाएं, जिसे सफाई का मौका भी न मिले।”

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि फर्जी मतदाताओं को हटाना जरूरी है, लेकिन यह प्रक्रिया चुनाव से अलग (de hors) चलनी चाहिए।

अब आगे क्या?

  • 1 अगस्त से 30 अगस्त के बीच फर्जी दस्तावेजों की जांच होगी।
  • इसके बाद ही तय होगा कि कितने विदेशी नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे।
  • राजनीतिक दलों की निगाहें अब इस प्रक्रिया और कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

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