देश में हरित ऊर्जा की दिशा में ऐतिहासिक कदम
भारत ने स्वदेशी तकनीक से बना पहला 1 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट गुजरात के कांडला बंदरगाह (डीपीए) पर शुरू कर दिया है। यह पूरी तरह से मेक इन इंडिया पहल के तहत तैयार हुआ है और देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस प्लांट को देश की प्रमुख कंपनी एलएंडटी (L&T) ने केवल चार महीनों में तैयार किया। खास बात यह है कि इस परियोजना में इस्तेमाल हुए इलेक्ट्रोलाइज़र भी पूरी तरह भारत में बने हैं।
जल्द बनेगा 10 मेगावाट का हाइड्रोजन हब
यह तो सिर्फ शुरुआत है — भविष्य में इस प्लांट की क्षमता को 10 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा, जिससे हर साल करीब 140 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।
इसकी पहली ईंट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2025 में भुज से रखी थी।
बंदरगाह अब हरित ऊर्जा से चलेगा
शुरुआत में इस प्लांट से बनने वाला हाइड्रोजन 11 हाइड्रोजन बसों और स्ट्रीट लाइटिंग में इस्तेमाल होगा। आने वाले समय में कांडला पोर्ट के सभी क्रेनों, मशीनों और वाहनों को भी हाइड्रोजन से चलाने का लक्ष्य है।
केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने उद्घाटन के मौके पर कहा—
“यह परियोजना ‘गति, गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता’ का उदाहरण है और Maritime India Vision 2030 का प्रतीक भी।”
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को गति
यह देश का पहला मेगावाट स्केल ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट है जिसे किसी बंदरगाह पर स्थापित किया गया है। इससे पहले भी डीपीए ने भारत का पहला स्वदेशी इलेक्ट्रिक टग (बंदरगाह जहाज) लॉन्च किया था।
यह पहल राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का अहम हिस्सा है, जिसके तहत भारत 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक हब बनने का लक्ष्य रखता है।
🔋 हरित भविष्य की दिशा में कांडला बंदरगाह अब एक मिसाल बन गया है। यह सिर्फ पोत संचालन नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की भी अगुवाई कर रहा है।