ईरान ने मानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमलों से भारी नुकसान, ट्रंप बोले – ‘दशकों पीछे चला गया ईरान’

 

 

News Desk : ईरान ने पहली बार आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि उसके परमाणु ठिकानों को अमेरिकी हवाई हमलों में भारी नुकसान पहुंचा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने अल जज़ीरा से बातचीत में कहा, “हां, हमारे परमाणु ठिकाने बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। यह तय है क्योंकि उन पर बार-बार हमले हुए हैं।”

यह बयान उस वक्त आया है जब ईरान और इज़राइल के बीच संघर्षविराम लागू है, जो मंगलवार को 12 दिनों की जंग के बाद लागू हुआ।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका के हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “दशकों पीछे” धकेल दिया है। उन्होंने कहा, “उन्हें नरक से गुजरना पड़ा… अब वो बम बनाने की सोच भी नहीं सकते।”

ट्रंप ने NATO समिट में कहा कि अमेरिका के बम हमलों से ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों का “पूरा खात्मा” हो गया। उन्होंने इसे द्वितीय विश्व युद्ध के अंत से जोड़ा और कहा, “मैं हिरोशिमा-नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता, लेकिन ये वैसा ही असर हुआ।”

हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान का परमाणु ढांचा पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ है। CNN और न्यूयॉर्क टाइम्स ने रक्षा खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि कुछ साइट्स अभी भी चालू हैं। ट्रंप ने इन रिपोर्ट्स को “फेक न्यूज” बताकर खारिज कर दिया और सोशल मीडिया पर लिखा – “परमाणु ठिकाने पूरी तरह तबाह कर दिए गए हैं।”

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने कहा, “जब आप सीधे टारगेट पर 30,000 पाउंड के 14 बम गिराते हैं, तो नतीजा सिर्फ तबाही होता है।”

उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने भी इस पर कहा कि ईरान के पास अभी भी करीब 408.6 किलोग्राम 60% शुद्धता वाला संवर्धित यूरेनियम है, लेकिन वह अब इसे हथियार-योग्य स्तर तक नहीं ले जा सकता। “तकनीकी क्षमता खत्म हो गई है, यही हमारी सफलता है।”

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने एक बार फिर कूटनीतिक समाधान की अपील की है। सुरक्षा परिषद की बैठक में यूएन की राजनीतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डिकार्लो ने कहा कि मौजूदा संघर्षविराम “एक और विनाशकारी युद्ध टालने का मौका है।” उन्होंने चेतावनी दी कि 2015 का परमाणु समझौता (JCPOA) अब भी अधर में है और अक्टूबर 18 तक अगर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो कई प्रावधान समाप्त हो जाएंगे।

अभी जब युद्धविराम कायम है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर नजर रखे है कि यह स्थायी शांति की शुरुआत होगी या महज एक विराम।

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