News Deks: अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के जवाब में, ईरान ने सोमवार को कतर और इराक में मौजूद अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। यह जवाबी कार्रवाई ईरान ने “ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री” के तहत की। कतर की राजधानी दोहा के पास स्थित अल-उदीद एयरबेस और इराक के ऐन-अल-असद एयरबेस को निशाना बनाया गया।
ईरानी सेना ने एक बयान में कहा कि यह वही अमेरिकी ठिकाना है जो वेस्ट एशिया में उनकी सैन्य रणनीति का सबसे बड़ा केंद्र है। बयान में कहा गया, “इस्लामिक ईरान किसी भी आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा और हर हमले का करारा जवाब देगा।”
— وزارة الدفاع – دولة قطر (@MOD_Qatar) June 23, 2025
कतर के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनकी वायु रक्षा प्रणाली ने समय रहते मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया। उन्होंने बताया कि इस हमले में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। कतर ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वह इस आक्रामकता के जवाब देने का अधिकार रखता है।
The State of Qatar strongly condemns the attack that targeted Al-Udeid Air Base by the Iranian Revolutionary Guard. We consider this a flagrant violation of the sovereignty of the State of Qatar, its airspace, international law, and the United Nations Charter. We affirm that…
— د. ماجد محمد الأنصاري Dr. Majed Al Ansari (@majedalansari) June 23, 2025
इससे पहले, अमेरिका ने शनिवार देर रात ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु संयंत्रों पर बंकर बस्टर बम और क्रूज़ मिसाइल से हमला किया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह तबाह करने के लिए किया गया।
इन हमलों के बाद कतर ने अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया और कई फ्लाइट्स को डायवर्ट किया गया। भारत में मौजूद कतर स्थित दूतावास ने भी भारतीय नागरिकों से शांत रहने और घरों में रहने की अपील की है।
इस बीच, ईरान ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका फिर हमला करता है, तो वह पूरे मध्य पूर्व से अमेरिकी मौजूदगी खत्म कर देगा। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने कहा कि यह तो बस शुरुआत है और भविष्य में और भी बड़े हमले किए जाएंगे।
स्थिति तेजी से बिगड़ रही है और पूरे पश्चिम एशिया में अमेरिकी ठिकानों पर सायरन बजने लगे हैं। कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, यूएई और जॉर्डन समेत 9 देशों में सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है।
माना जा रहा है कि अगर यह संघर्ष और बढ़ा, तो यह पूरे क्षेत्र को युद्ध की ओर ले जा सकता है और वैश्विक तेल आपूर्ति पर भी बड़ा असर डाल सकता है।