News Desk: भारत अब अपनी खुद की ‘बंकर बस्टर’ मिसाइल बनाने की तैयारी में है, जो दुश्मन के ज़मीन के नीचे बने ठिकानों को तहस-नहस करने में सक्षम होगी। यह मिसाइल अमेरिका की ‘मासिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर’ (MOP) जैसी होगी, जो हाल ही में ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल की गई थी।
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) इस मिसाइल को देश की सबसे ताक़तवर मिसाइल अग्नि-5 के एक नए, ग़ैर-परमाणु संस्करण के तौर पर विकसित कर रहा है। इसमें ज़मीन के भीतर 80 से 100 मीटर तक घुसने की क्षमता होगी और यह 7.5 से 8 टन वज़नी पारंपरिक वारहेड ले जा सकेगी।
मुख्य विशेषताएं:
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मंच (Platform): अग्नि-5 का विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया ग़ैर-परमाणु संस्करण
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वारहेड (Warhead): 7.5–8 टन का भारी पारंपरिक बम
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गति (Speed): मैक 8 से 20 (Hypersonic)
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रेंज: लगभग 2,000–2,500 किलोमीटर
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सटीकता: 10 मीटर के अंदर (GPS और NavIC आधारित)
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प्रकार: दो वैरिएंट – बंकर बस्टर और एयर-बर्स्ट (हवा में फटने वाला)
क्यों ज़रूरी है ये मिसाइल?
भारत के पास अमेरिका जैसे भारी बमवर्षक विमान (B-2, B-52) नहीं हैं जो इतने भारी बम गिरा सकें। ऐसे में लंबी दूरी की मिसाइल से गहरे बंकरों पर हमला करना एक रणनीतिक और आर्थिक रूप से बेहतर विकल्प है।
चीन और पाकिस्तान में कई सैन्य और परमाणु कमांड सेंटर ज़मीन के नीचे बने हैं। ये मिसाइलें ऐसे ठिकानों को भी निशाना बना सकेंगी जिन्हें अब तक छिपा हुआ और सुरक्षित माना जाता था।
क्या चल रहा है अभी?
DRDO फिलहाल इस मिसाइल के डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। उम्मीद है कि इसके परीक्षण अगले कुछ महीनों में शुरू हो सकते हैं। यह मिसाइल भारत के रणनीतिक हथियारों में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।
चुनौतियाँ:
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इतनी गहराई तक घुसने वाले वारहेड को बनाना तकनीकी रूप से बेहद कठिन है।
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हाइपरसोनिक गति पर निशाना साधने के लिए सटीक नेविगेशन सिस्टम की ज़रूरत है।
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ऐसे हथियारों के विकास पर वैश्विक निगरानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी संभव हैं।
निष्कर्ष
भारत की यह नई मिसाइल देश को पारंपरिक हथियारों की श्रेणी में भी सुपरपावर की दिशा में ले जा सकती है। यह दुश्मनों के उन ठिकानों को भी खत्म कर सकेगी जो अब तक अजेय माने जाते थे। रक्षा विशेषज्ञ इसे भविष्य के युद्धों के लिए एक “गेम-चेंजर” मान रहे हैं।