ढाका : बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख ख़ालिदा ज़िया (Khaleda Zia) ने सत्ता में वापसी की तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को BNP ने ऐलान किया कि ज़िया आगामी आम चुनाव लड़ेंगी।
हसीना सरकार के पतन और 5 अगस्त 2024 को हुए व्यापक प्रदर्शनों के बाद, देश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार काम कर रही है। अब राजनीतिक माहौल गर्माने लगा है और BNP फिर से सत्ता में लौटने की पूरी कोशिश में है।
BNP ने सोमवार को 237 संसदीय सीटों के संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें ख़ालिदा ज़िया का नाम बोगुरा-7, दिनाजपुर-3 और फेनी-1 से उम्मीदवार के रूप में शामिल है। वहीं, उनके बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान को बोगुरा-6 (सदर) से उम्मीदवार बनाया गया है — यह वही सीट है जिसे कभी उनकी मां ने जीता था।
BNP Chairperson Khaleda Zia is set to contest from Dinajpur-3 constituency, while the party’s acting chairman Tarique Rahman has been nominated for Bogura-6 in the upcoming national election in February.
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— The Business Standard (@tbsnewsbd) November 3, 2025
BNP के महासचिव मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, “हमने 237 सीटों के संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी की है। गठबंधन दलों से बातचीत के बाद अंतिम सूची तय की जाएगी।”
बोगुरा, जो दिवंगत राष्ट्रपति और BNP संस्थापक ज़ियाउर रहमान का पैतृक स्थान है, पार्टी का गढ़ माना जाता है।
ख़ालिदा ज़िया, जो लंबे समय तक भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में रहीं, हसीना सरकार के पतन के बाद रिहा हुईं। बीमारियों और विदेश यात्रा पर प्रतिबंध के चलते वे पिछले कई वर्षों से राजनीति से दूर थीं।
उनके बेटे तारिक रहमान, जो 2008 से लंदन में रह रहे हैं, को हाल ही में 2004 के ग्रेनेड हमले के मामले में ग़ैरहाज़िरी में सुनाई गई उम्रकैद की सज़ा से बरी कर दिया गया है। BNP ने हमेशा इस मुकदमे को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है।
ख़ालिदा ज़िया और शेख हसीना की राजनीतिक दुश्मनी दशकों पुरानी है। यह टकराव 1975 के उस तख़्तापलट से जुड़ा है, जिसमें बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या कर दी गई थी। उसके बाद ज़ियाउर रहमान सत्ता में आए और BNP की स्थापना की। 1981 में उनकी हत्या के बाद, ख़ालिदा ज़िया ने पार्टी की बागडोर संभाली।
अब जब हसीना सत्ता से बाहर हैं, ख़ालिदा ज़िया की वापसी बांग्लादेश की राजनीति में नया अध्याय लिख सकती है — और शायद फिर से देश को पुराने प्रतिद्वंद्विता वाले दौर में ले जाए।

