अरुण पाठक
साहित्यकार बुद्धिनाथ झा के ‘ऊँ महाभारत’ पर केंद्रित पुस्तक ‘साहित्यक शिखर पर ऊँ महाभारत’ का हुआ विमोचन
बोकारो : साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचना गोष्ठी रविवार अपराह्न वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा के चीरा चास स्थित आवास अंजनी अपार्टमेंट में हुई। वरिष्ठ साहित्यकार सुख नंदन सिंह ‘सदय’ की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचना गोष्ठी की शुरुआत हिमांशु शेखर झा व आराध्या झा द्वारा प्रस्तुत शांति पाठ व उपस्थित साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन के साथ हुई।
इस अवसर पर बुद्धि नाथ झा द्वारा तीन खंडों में लिखित ऐतिहासिक मैथिली महाकाव्य ‘ऊँ महाभारत’ पुस्तक पर केंद्रित समीक्षात्मक पुस्तक ‘साहित्यक शिखर पर ऊँ महाभारत’ का विमोचन किया गया। मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के पूर्व महासचिव बलराम चौधरी, साहित्यकार सुख नंदन सिंह सदय, बुद्धिनाथ झा, संजय कुमार झा, अमन कुमार झा, अरुण पाठक, डॉ निरुपमा झा, नीलम झा, डॉ रणजीत कुमार झा, अधिवक्ता विश्वनाथ झा, प्रशांत कुमार मिश्र व गंगेश पाठक ने पुस्तक का विमोचन किया।
साहित्यकार चन्द्र मोहन कर्ण व शैलेन्द्र कुमार झा के संपादन में प्रकाशित पुस्तक ‘साहित्यक शिखर पर ‘ऊँ महाभारत’ में 29 विद्वान पाठकों व साहित्यकारों के आलेख संकलित हैं।
पुस्तक विमोचन के बाद कविगोष्ठी हुई। अरुण पाठक ने सरस्वती वंदना ‘हे मां सरस्वती बुद्धि, विद्या दायिनी…’ व देशभक्ति गीत, डॉ निरुपमा झा ने ‘औरतों की उम्र’, ‘तुम्हारी बातें’, ‘मन तो दुखता है’, गंगेश पाठक ने ‘मोनक बात’, ‘मातु भवानी’, नीलम झा ने मैथिली कविता ‘तोरा बिनु’, हिन्दी कविता ‘सृष्टि का सृजन’ व ‘मां’, डॉ रणजीत कुमार झा ने ‘उमड़ल मेघ देखि’, ‘कोना बांचत प्राण’, संजय झा ने ‘कविक महिमा’, बुद्धिनाथ झा ने उं महाभारत से एक प्रसंग व साहित्यलोक परे केंद्रित रचना तथा सुख नंदन सिंह ‘सदय‘ ने ‘बोकारो प्रतिष्ठान’, ‘विदाई की बेला में’ व ‘त्रेता युग के भगवान राम’ शीर्षक कविता सुनाकर सबकी प्रशंसा पाई।
पठित रचनाओं पर समीक्षा टिप्पणी भी दी गयी। बलराम चौधरी ने कहा कि साहित्यलोक की रचनागोष्ठी में आकर उन्हें काफी प्रसन्नता होती है। सुख नंदन सिंह सदय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि मैथिली में ऊं महाभारत महाकाव्य की रचना कर बुद्धिनाथ झा जी ने बहुत ही ऐतिहासिक कार्य किया है। इसके लिए वे साहित्य जगत में सदैव स्मरणीय रहेंगे। उन्होंने बोकारो के साहित्यिक विकास में साहित्यलोक के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्था द्वारा निरंतर मासिक गोष्ठियों का आयोजन व इससे जुड़े साहित्यकारों की सक्रियता प्रशंसनीय व अनुकरणीय है। धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता विश्वनाथ झा ने किया।