नई दिल्ली: देश की सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने 7 मई को देशभर के 244 जिलों में नागरिक सुरक्षा अभ्यास (सिविल डिफेंस ड्रिल) कराने का फैसला लिया है। यह फैसला भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों को निर्देश जारी किए हैं। ड्रिल का आयोजन शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में होगा। इसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के जिले भी शामिल हैं। अभ्यास में हवाई हमले की चेतावनी, ब्लैकआउट (बिजली बंदी), और लोगों की आपातकालीन निकासी जैसी स्थितियों का अभ्यास किया जाएगा।
पिछला ऐसा अभ्यास 1971 में हुआ था, जिस वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था।
इस अभ्यास का मकसद मौजूदा सुरक्षा हालात और बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए देश की तैयारियों को जांचना और सुधारना है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के एक अधिकारी ने बताया कि “हम तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं और जो कमियां हैं उन्हें ठीक किया जा रहा है।”
गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी यह ड्रिल की जाएगी। इन इलाकों को संवेदनशील मानते हुए खास ध्यान दिया जाएगा।
झारखंड के 6 जिलों में होगा अभ्यास
झारखंड में रांची, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, साहेबगंज और गोमियो जिलों में यह ड्रिल होगी। हालांकि राज्य में कुल 24 जिले हैं, लेकिन सिर्फ इन 6 को फिलहाल चुना गया है।
यह अभ्यास उस समय हो रहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर लगातार उच्चस्तरीय बैठकें कर रहे हैं।
कौन-कौन होगा शामिल
इस अभ्यास में जिला अधिकारी, स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड (सक्रिय और रिजर्व), एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र संगठन के सदस्य, कॉलेज और स्कूल के छात्र शामिल होंगे।
क्या हो सकता है असर
कुछ जिलों में आम लोगों को अस्थाई ब्लैकआउट, मोबाइल नेटवर्क बंद, या ट्रैफिक में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है।
कई जगहों पर मॉक इवैक्यूएशन (नकली निकासी) भी की जा सकती है। पुलिस और अर्धसैनिक बल युद्ध जैसे हालात का अभ्यास करेंगे। सायरन बजाकर एयर रेड सिस्टम की जांच की जाएगी।
जिला नियंत्रण कक्ष और बैकअप (शैडो) कंट्रोल रूम की कार्यक्षमता की भी जांच की जाएगी।
सरकार की अपील
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस अभ्यास में पूरी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की है ताकि आपात स्थितियों में देश की तैयारी को और बेहतर बनाया जा सके।
सुरक्षा अभ्यास ड्रिल एक जरूरी पहल है।1971 के बाद ये दूसरी बार होने जा रहा है।