दीवारों के पार भी नज़र रखेगा वाई-फाई, चिंता बढ़ा रही नई टेक्नोलॉजी…

– आशीष सिन्हा

पिट्सबर्ग की Carnegie Mellon University (CMU) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा अनोखा सिस्टम बनाया है जो आम Wi-Fi राउटर को एक तरह का “कैमरा” बना देता है। यह तकनीक बिना किसी कैमरे के दीवारों के पार भी लोगों की गतिविधियों और शरीर की हरकतों को पहचान सकती है।

इस तकनीक का नाम है DensePose from WiFi। यह एक तरह की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, जो Wi-Fi सिग्नल्स से टकरा कर लौटने वाली तरंगों का विश्लेषण करती है और उससे इंसान के शरीर की 3D आकृति तैयार करती है — मतलब, व्यक्ति कहाँ है, क्या कर रहा है, कैसे खड़ा है — ये सब बिना देखे ही पता चल सकता है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?
जब कोई इंसान कमरे में चलता है, तो Wi-Fi सिग्नल्स उसके शरीर से टकराकर वापस लौटते हैं। इन सिग्नल्स में बदलाव आता है — जिसे AI पढ़ लेता है और एक कंप्यूटर मॉडल के जरिए शरीर की पोज़ बनाता है। इसके लिए सिर्फ 3 आम राउटर की जरूरत होती है — न कोई महंगा उपकरण, न कोई कैमरा।

  • घर में लगे आम तीन वाई-फाई राउटर लगातार रेडियो सिग्नल भेजते हैं।

  • जब कोई व्यक्ति कमरे में चलता है, तो उसके शरीर से टकराकर सिग्नल वापस आते हैं।

  • ये सिग्नल कैसे और कितने बदलते हैं, ये AI मॉडल पहचानता है।

  • इसी आधार पर वह इंसान की 3D पोज बना लेता है — यानी शरीर की बनावट, चाल और मूवमेंट की एक पूरी झलक।

ये सिस्टम कैमरों की तरह ही सटीक है, लेकिन यह सस्ती और आसान टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसमें कोई महंगे सेंसर या कैमरे की जरूरत नहीं — बस आम वाई-फाई राउटर जैसे TP-Link Archer A7 (लगभग ₹4,000) से काम हो जाता है।

source: https://arxiv.org/pdf/2301.00250

इस तकनीक के फायदे:

  • गोपनीयता की सुरक्षा: इसमें कैमरा नहीं होता, इसलिए चेहरा या पहचान कैप्चर नहीं होती।

  • स्वास्थ्य देखभाल: बूढ़े लोगों की निगरानी की जा सकती है जैसे गिरना, साँस लेना, चलना आदि — बिना उन्हें परेशान किए।

  • स्मार्ट होम: घर के पंखे, लाइट, हीटर इंसान की हलचल से खुद ब खुद कंट्रोल हो सकते हैं।

  • सुरक्षा: अंधेरे या बंद दरवाज़े के पीछे भी कोई मौजूद है या नहीं, यह पता चल सकता है।

चुनौतियाँ क्या हैं?

  • गोपनीयता पर खतरा: इस तकनीक का दुरुपयोग करके बिना बताए किसी की निगरानी की जा सकती है।

  • एक साथ ज़्यादा लोगों को पहचानने में दिक्कत: अगर एक कमरे में 3 से ज़्यादा लोग हों तो सटीकता कम हो जाती है।

  • कानूनी नियमों की कमी: अभी ऐसी तकनीक को लेकर स्पष्ट कानून या नियम नहीं बने हैं।

भविष्य की संभावनाएँ: यह तकनीक स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्मार्ट होम्स, गेमिंग, और कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है। लेकिन साथ ही इसके गलत इस्तेमाल से निजता को गंभीर नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे लेकर नियम, पारदर्शिता और लोगों की सहमति को प्राथमिकता देना ज़रूरी है।

निष्कर्ष:
“Wi-Fi से DensePose” एक अनोखा और सस्ता समाधान है जो कैमरे या रडार जैसी महंगी तकनीकों की जगह ले सकता है। लेकिन जैसे-जैसे हम अदृश्य तकनीकों की ओर बढ़ रहे हैं, ज़रूरी है कि हम यह तय करें कि तकनीक इंसानों की सेवा करे, न कि उन पर निगरानी का ज़रिया बने।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *